Booker Prize 2022: श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलका (Shehan Karunatilaka) ने हाल ही में प्रतिष्ठित साहित्य अवार्ड बुकर पुरस्कार 2022 (Booker Prize 2022) जीता है. उन्हें यह सम्मान उनके दूसरे उपन्यास 'द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा' (The Seven Moons of Maali Almeida) के लिए दिया गया है. बुकर पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है.
शेहान करुणातिलका अपने रॉक गीतों, स्क्रीन प्ले ट्रेवल स्टोरीज के लिए भी फेमस है. वह यह अवार्ड जीतने वाले दूसरे श्रीलंकाई बने है इनसे पहले वर्ष 1992 में 'द इंग्लिश पेशेंट' (The English Patient) के लिए यह अवार्ड माइकल ओंडात्जे (Michael Ondaatje) को दिया गया था. 47 वर्षीय करुणातिलका को यह अवार्ड लंदन में एक समारोह में दिया गया है. उन्हें इसके साथ 50,000 पाउंड भी मिले है.
बुकर पुरस्कार 2022 के लिए लेखकों को 6 सितंबर को शॉर्टलिस्ट किया गया था. इसमे तीन महिलाएं और तीन पुरुष थे, जो पांच देशों और चार महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते थे.
We are delighted to announce that the WINNER of the #BookerPrize2022 is ‘The Seven Moons of Maali Almeida ’ by Shehan Karunatilaka.
— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) October 17, 2022
Discover more about the winning book: https://t.co/e5pLgvWmld@shehankaru @sortofbooks @ShahidhaBari @hrcastor @amabanckou @mjohnharrison pic.twitter.com/mtaVewL7Ij
नॉवेल 'द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा' के बारें में:
'द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा' एक फोटोग्राफर की कहानी पर आधारित नॉवेल है. इसे इंडिपेंडेंट प्रेस सॉर्ट ऑफ बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया था. इस वर्ष पहली बार इस प्रकाशन की बुक को अवार्ड की लिस्ट में रखा गया है.
शेहान करुणातिलका के बारे में:
लेखक करुणातिलका का जन्म वर्ष 1975 में श्रीलंका के गाले में हुआ था वे कोलंबो में पले-बढ़े. उन्हें उनके पहले नॉवेल 'चाइनामैन' के लिए वर्ष 2011में राष्ट्रमंडल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें "फांसी के हास्य" (gallows humour) का विशेषज्ञ कहा जाता है. उन्हें डीएसएल और ग्रेटियन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. उन्हें बीबीसी और द रीडिंग एजेंसी के बिग जुबली रीड के लिए चुना गया था.
बुकर प्राइज के बारें में:
बुकर पुरस्कार यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में अंग्रेजी में प्रकाशित एक पुस्तक को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है. इसे पहले फिक्शन के लिए बुकर पुरस्कार और मैन बुकर पुरस्कार के रूप में जाना जाता था. इस अवार्ड की स्थापना वर्ष 1969 में किया गया था. 2002 में इसका नाम बदलकर मैन बुकर प्राइज कर दिया गया था. वर्ष 2019 में इसका नाम बुकर प्राइज कर दिया गया.
बुकर पुरस्कार के पहले विजेता पी एच न्यूबी (P. H. Newby) थे जिन्हें उनके उपन्यास समथिंग टू आंसर फॉर (Something to Answer For) के लिए यह अवार्ड दिया गया था. 1970 में, बर्निस रूबेन्स (Bernice Rubens) द इलेक्टेड मेंबर (The Elected Member) के लिए बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला बनीं थी. भारतीयों में अरुंधति रॉय ने वर्ष 1997 में द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स (The God of Small Things) के लिए, किरण देसाई, 'द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस' (The Inheritance of Loss) और अरविंद अडिगा, 'द व्हाइट टाइगर' (The White Tiger) के लिए यह अवार्ड जीता है.
इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार के बारे में:
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (पूर्व में, मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार) यूनाइटेड किंगडम में आयोजित किया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक पुरस्कार इसकी घोषणा जून 2004 में की गयी थी. अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार-2022 गीतांजलि श्री को उनके हिंदी उपन्यास, टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए दिया गया है.
इसे भी पढ़े
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, जानें कब लेंगे शपथ?
Comments
All Comments (0)
Join the conversation