तेल उत्पादक देशों के संगठन 'ओपेक' और रूस के नेतृत्व वाले उसके तेल उत्पादक सहयोगियों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है. इस समझौते के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की मांगों में आई कमी के कारण क़ीमत को स्थिर रखने के लिए उत्पादन में 10 प्रतिशत की कटौती होगी. यह समझौता अगले महीने एक मई से प्रभावी होगा.
इस समझौते के तहत वे कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण मांग में आई कमी के मद्देनज़र उत्पादन में प्रतिदिन 97 लाख बैरल की कटौती करने पर राज़ी हुए हैं. यह एक बार में की गई इतिहास में सबसे बड़ी कटौती है. 12 अप्रैल 2020 को इस समझौते पर एक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए सहमति बनी. समझौते का मुख्य उद्देश्य क़ीमत को स्थिर रखने के लिए उत्पादन में बड़ी कटौती करनी थी.
09 अप्रैल को समझौता होना था
ओपेक प्लस तेल उत्पादकों के बीच 09 अप्रैल 2020 को कटौती को लेकर समझौता होना था लेकिन मेक्सिको उत्पादन में कटौती का विरोध कर रहा था. ओपेक ने इस समझौते की घोषणा नहीं की है लेकिन इससे जुड़े कई देशों ने समझौते की पुष्टि की है. अब तक इस बात की पुष्टि हुई है कि ओपेक और सहयोगी तेल उत्पादक देश हर दिन 90.7 लाख बैरल की कटौती तेल उत्पादन में करेंगे. इस समझौते की जानकारी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कुवैत के ऊर्जा मंत्री डॉ ख़ालीद अली मोहम्मद अल-फ़ादेल ने ट्वीट कर दी है.
तेल की मांग में एक तिहाई की कमी
विश्वभर में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण तीन अरब आबादी घरों में बंद है और इस वजह से तेल की मांग में एक तिहाई की कमी आई है. ओपेक प्लस इस उत्पादन में कटौती को लेकर तैयार नहीं था इसलिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमत पिछले 18 साल बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई थी. पहले सऊदी अरब और रूस में मतभेद के कारण कटौती पर कोई समझौता नहीं बन पा रहा था. अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 02 अप्रैल 2020 को सऊदी और रूस के बीच विवाद ख़त्म होने की बात की तो तेल की क़ीमत में मज़बूती आई.
समझौते के अनुसार हर दिन लगभग एक करोड़ बैरल की कटौती
इस समझौते के अनुसार 01 मई 2020 से ओपेक प्लस देश तेल उत्पादन में हर दिन लगभग एक करोड़ बैरल की कटौती करेंगे. इसके साथ ही ओपेक प्लस समूह से अलग अमरीका, कनाडा, ब्राज़ील और नॉर्वे 50 लाख बैरल की कटौती करेंगे. इसी साल जुलाई से दिसंबर के बीच कटौती को कम कर हर दिन 80 लाख बैरल किया जाएगा. इसके बाद जनवरी 2021 से अप्रैल 2022 तक 60 लाख बैरल तक लाया जाएगा.
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