पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से जुड़े बहुप्रतीक्षित विवाह कानून को मंजूरी प्रदान कर दी है. राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया.
पाकिस्तान में इस विधेयक के लागू होने के बाद वहा रहने वाला अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय विवाह करने के बाद अपने विवाह के सम्बन्ध में कानूनी मान्यता प्राप्त कर सकेगा.
विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पीएमओ से जारी बयान के अनुसार पीएम की सलाह पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने 'हिंदू विवाह विधेयक 2017' को मंज़ूरी प्रदान कर दी है.
इससे पहले 9 मार्च 2017 को इस विधेयक को संसद से मंजूरी मिली. कानून को पारित होने से पहले लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में दूसरी बार यह विधेयक पारित किया गया. पिछले वर्ष सितंबर में संसद ने इस कानून को पारित कर दिया. बाद में पाकिस्तान की सीनेट ने इसमें कुछ बदलाव किए.
विधेयक के बारे में-
- पाकिस्तान में कोई भी विधेयक तभी राष्ट्रपति के पास स्वीकृति हेतु भेजा जाता है, जब दोनों सदनों से समान प्रति को ही पारित किया गया हो.
- दोनों सदनों से विधेयक के अंतिम स्वरूप को मंजूरी मिल जाने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया.
- कानून बनने के बाद इसे तीन प्रांतों पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लागू किया जाएगा.
- पाकिस्तान का सिंध प्रांत पहले ही अपने यहां हिंदू विवाह अधिनियम लागू कर चुका है.
- इस कानून को पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिदुओं के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
शादीपरत-
- अधिनियम के अंतर्गत हिंदुओं को मुस्लिमों के 'निकाहनामे' की तरह शादी के प्रमाण के तौर पर 'शादीपरत' दिया जाएगा.
- पाकिस्तान में हिन्दू विधवाओं को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लेने हेतु शादी का पंजीकरण 'शादीपरत' लाभ दायक होगा.
विधेयक के मुख्य तथ्य-
- पाकिस्तान में शादी हेतु हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल है. कानून के अनुसार अलग होने के लिए हिंदू दंपती को अदालत में तलाक हेतु अनुरोध करने का भी प्रावधान है.
- विधेयक के तहत तलाक ले चुके व्यक्ति को फिर से विवाह का अधिकार प्रदान गया है.
- इसके अलावा हिंदू विधवा को पति की मृत्यु के छह महीने बाद फिर से शादी का अधिकार होगा.
- पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी वहां की जनसंख्या का करीब 1.6 फीसद है.
भारतीय कानून से अलग-
- पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम वहां के हिंदू समुदाय पर ही लागू होता है, भारत में हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अतिरिक्त जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी लागू है.
- पाकिस्तानी कानून के अनुसार शादी के 15 दिनों की अवधि में इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
- भारतीय कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है.
- इस बारे में राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं.
- पाकिस्तान में विवाह हेतु हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है.
- भारत में लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित है.
- पाकिस्तानी कानून के अनुसार अगर पति-पत्नी एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और साथ नहीं रहना चाहते, तो शादी को रद्द कर सकते हैं. भारतीय कानून में कम से कम दो साल अलग रहने की शर्त है.
- पाकिस्तान में हिंदू विधवा को पति की मृत्यु के छह महीने बाद फिर से शादी का अधिकार होगा. भारत में विधवा पुनर्विवाह हेतु कोई समय सीमा तय नहीं है.
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