संसद ने चेक बाउंस से जुड़ा विधेयक पारित किया

Jul 28, 2018, 14:24 IST

लोकसभा ने 23 जुलाई 2018 को इस बिल को मंजूरी दे दी थी. विधेयक में ऐसे प्रावधान किये गये हैं, जिससे चेक बाउंस होने के कारण जितने तरह के विवाद उपजते हैं, उन सबका समाधान इसी कानून में हो जाये.

Parliament passes bill for quick prosecution in cheque bounce cases
Parliament passes bill for quick prosecution in cheque bounce cases

संसद ने 26 जुलाई 2018 को अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और व्यापार-कारोबार में भरोसा कायम करने हेतु चेक बाउंस के दोषियों को कड़ी सजा तथा भारी जुर्माने के प्रावधान वाले वाले 'द निगोसिएशन इन्सट्रूमेंटस् (संशोधन) विधेयक 2018' पारित किया.

लोकसभा ने 23 जुलाई 2018 को इस बिल को मंजूरी दे दी थी. विधेयक में ऐसे प्रावधान किये गये हैं, जिससे चेक बाउंस होने के कारण जितने तरह के विवाद उपजते हैं, उन सबका समाधान इसी कानून में हो जाये.

                                                     उद्देश्य:

इस विधेयक से चेक के अस्वीकृत होने की समस्या का समाधान हो सकेगा. इससे चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी और सामान्य कारोबारी सुगमता में भी इजाफा होगा.

 

मुख्य तथ्य:

  • इसके साथ ही विधेयक में चेक बाउंस मामलों के दोषियों को 2 साल तक की सजा का प्रावधन है.
  • बिल में प्रावधान है कि अगर निचली अदालत में फैसला आरोपी के खिलाफ आता है और वह ऊपरी अदालत में अपील करता है तो उसे फिर से कुल राशि की 20 फीसदी रकम अदालत में जमा करानी होगी.
  • इस प्रावधान की वजह से चेक बाउंस के मामलों पर अंकुश लगेगा और अदालतों पर चेक बाउंस के मुकदमों का बोझ कम होगा.
  • चेक बाउंस होने के बाद मामला अदालत में जाने पर इसको जारी करने वाले व्यक्ति को 20 प्रतिशत राशि का भुगतान चेक प्राप्तकर्ता को अदा करना होगा. इस राशि का भुगतान 60 दिन के भीतर करना होगा जिसे 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है.
  • अगर अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की जाती है तो चेक जारी करने वाले व्यक्ति को और 20 प्रतिशत राशि जमा करानी होगी. इसके साथ ही चेक जारी करने वाले को 20 प्रतिशत दंड पर ब्याज भी देना पड़ेगा.
  • विधेयक के जरिए अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है, जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है. इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है.

 

अन्य जानकारी:

मौजूदा समय में देश भर की निचली अदालतों में चेक बाउंस के करीब 16 लाख मुकदमे चल रहे हैं जबकि 32,000 मामले उच्च अदालतों तक गए है.

चेक बाउंस में अभी तक क्या होता था?

चेक बाउंस में शिकायकर्ता चेक की रकम का पांच प्रतिशत जमा करके केस शुरू करता था. इसके बीच में उसे कोई अंतरिम राशि नहीं मिलती थी. इसके साथ ही केस लंबा चलता था. जिसस रकम पाने वाला परेशान होता था.

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