राज्यसभा ने 19 दिसम्बर 2017 को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) विधेयक 2017 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है. भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक, 2017 पास होने के साथ ही आईआईएम संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएं घोषित करने का रास्ता साफ हो गया है.
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मुख्य तथ्य:
• इसी के साथ देश के सभी 20 भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अब सरकार की दखलंदाजी से मुक्त हो गए हैं.
• इस विधेयक के कानून बनने पर आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिल जायेगा.
• इसके अलावा इन संस्थानों को स्वायत्तता भी मिल सकेगी जिससे छात्रों को डिप्लोमा की जगह डिग्री दे सकेंगे.
• इस बिल के तहत अब निदेशकों, फेकल्टी सदस्यों की नियुक्ति करने के अलावा डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकेंगे.
• पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर सभी 20 आईआईएम बोर्ड ऑफ गनर्वर्स की नियुक्ति भी कर सकेंगे.
• आईआईएम को डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए मानव संसाधन मंत्रालय की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब संस्थान का बोर्ड ही चेयरपर्सन और डायरेक्टर्स की नियुक्ति कर सकेगा.
• चेयरपर्सन की नियुक्ति बोर्ड द्वारा 4 साल के लिए जाएगी वहीं डायरेक्टर की नियुक्ति पांच साल के लिए होगी.
बोर्ड में सरकार के नामित चार सदस्यों की नियुक्ति की परंपरा भी खत्म हो जायेगी. बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती छात्रों की ज्यादा भागीदारी होगी. इसके साथ महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा.
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