राज्यसभा में 16 सितम्बर 2020 को आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान विधेयक-2020 ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. इस विधेयक के पास होने से जामनगर स्थित आयुर्वेद की इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग एंड रिसर्च, गुलाबकुनर्वबा आयुर्वेद महाविद्यालय और इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फार्मास्युटिकल साइंसेस को मिलाकर इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिला है.
इस विधेयक में तीन संस्थानों का विलय करने का प्रस्ताव है. अब जामनगर, गुजरात में स्थित आयुर्वेद विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया जाएगा. राज्यसभा में आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान विधेयक पर चर्चा के दौरान सांसदों ने गिलोय से लेकर अश्वगंधा के गुणों और कोरोना काल में आयुर्वेद और हौम्योपैथ के फायदे पर चर्चा की.
Rajya Sabha passes the Institute of Teaching and Research in Ayurveda Bill, 2020. pic.twitter.com/CVOS6Cfiqo
— ANI (@ANI) September 16, 2020
मुख्य बिंदु
• यह उम्मीद है कि इस प्रस्ताव के विधान से इस संस्थान को आयुर्वेद और फार्मेसी में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा में शिक्षण की पद्धति को विकसित करने के लिए अधिक स्वायत्तता मिलेगी.
• विभिन्न घटक संस्थानों के बीच समन्वय से आईटीआरए को इस प्रकार की शिक्षा के उच्च मानकों का प्रदर्शन करने और पूरे आयुष क्षेत्र में एक प्रकाश स्तंभ संस्थान के रूप में उभरने में मदद मिलेगी.
• इससे फार्मेसी सहित आयुर्वेद की सभी प्रमुख शाखाओं में कर्मियों को उच्च स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त होने और आयुर्वेद के क्षेत्र में गहन अध्ययन और अनुसंधान किए जाने की उम्मीद है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने क्या कहा?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने राज्यसभा में आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान विधेयक पर बोलते हुए कहा कि यह बिना किसी पूर्वाग्रह के चुना गया है. इसके अतिरिक्त सबसे खास बात यह है कि यह साल 1956 में सरकार द्वारा बनाई गई सबसे पुरानी आयुर्वेद संस्था है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के लिए पूरी दुनिया में आयुर्वेद के लिए एकमात्र सहयोग केंद्र है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने आयुर्वेद के प्रभाव और इस्तेमाल को लेकर कहा कि भारत सदियों से इसका प्रयोग करता आ रहा है. हमारे वेद इसके साक्षी हैं. राज्यसभा में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आय़ुर्वेद के क्षेत्र में देश का पहला संस्थान है जिसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिला है. यह संस्थान आयुर्वेद के महत्व को आगे बढ़ाने और समाज के लिए उपयोगी साबित होगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने आयुर्वेदिक औषधियों की खेती के लिए 4000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.
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