लोकसभा में 27 मार्च 2017 को 'मेंटल हेल्थकेयर बिल-2016' ध्वनिमत से पारित हो गया. यह बिल राज्यसभा में 8 अगस्त 2016 को ही पास हो गया था.
बिल को 120 से ज्यादा संशोधनों के साथ पारित किया गया है. बिल में मानसिक रोगियो की परिभाषा तथा उन्हे अब तक उपलब्ध उपचार की व्यवस्था में बदलाव के प्रावधान किए गए है.
मेंटल हेल्थकेयर बिल से संबंधित मुख्य तथ्य:
• आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रावधान किया गया है.
• महिलाओं को सामुदायिक आधार पर ही विशेष उपचार का प्रावधान किया गया है.
• बिल के मुताबिक, मानसिक रोग से पीड़ित बच्चे को उसकी मां से तब तक अलग नहीं किया जाएगा, जब तक बहुत जरूरी ना हो.
• वहीं मानिसक रूप से अस्वस्थ मां से 3 वर्ष तक की आयु के बच्चे को अलग करने हेतु ठोस कारण बताने का प्रावधान जोड़ा गया है.
• मानसिक रोगियों की नसबंदी और आपात स्थितियों में उनका इलाज बिजली के झटकों से करने पर रोक की व्यवस्था है.
• बिना रोगी की इच्छा के उसपर किसी तरह का इलाज जबरन नहीं किया जा सकेगा.
• मानसिक रोग से ग्रस्त लोगों को संपत्ति का अधिकार भी बहाल होगा.
• बिल के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु कानूनी व्यवस्था की गई है, जिसका उल्लंघन करने वालों के लिए जेल एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
एक आंकड़े के मुताबिक, देश में कुल 6-7 फीसदी लोगों को किसी ना किसी तरह की दिमागी समस्या है तथा 1-2 फीसदी रोगियों को गंभीर समस्या है.
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