फाइजर-बायोएनटेक कोविड -19 वैक्सीन को कोरोना वायरस (कोविड -19) के खिलाफ अधिक प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तीसरी खुराक की आवश्यकता हो सकती है. तीसरे कोविड -19 शॉट से बीटा वेरिएंट के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने की भी उम्मीद है. अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर-बायोएनटेक तीसरे डोज की मंजूरी पाने की कोशिश में है.
कंपनी का दावा है कि कोरोना को मात देने के लिए तीसरी डोज की जरूरत पड़ सकती है. कंपनी अंतरिम ट्रायल के डेटा के मद्देनजर मंजूरी प्राप्त करने की कोशिश करेगी, जिसमें पता चला था कि पहले दो डोज की तुलना में तीसरा डोज एंटीबॉडी लेवल को पांच से दस गुना बढ़ा सकता है.
बीटा वैरिएंट के खिलाफ बेहतर सुरक्षा
दरअसल, इस तीसरे कोविड -19 खुराक से कोरोना के बीटा वैरिएंट के खिलाफ बेहतर सुरक्षा की उम्मीद की जा रही है. बीटा वैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. यह वैरिएंट अबतक का सबसे शक्तिशाली है. यह डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा असरदार है.
डेल्टा वैरिएंट से बचाव में वैक्सीन कम प्रभावी
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से बचाव में फाइजर वैक्सीन कम प्रभावी है. एक अध्ययन में खुलासा हुआ कि जिन्हें पहले कोरोना वायरस नहीं हुआ है और अगर वो कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होते हैं तो ऐसे लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बनाने में यह वैक्सीन ज्यादा कारगर नहीं है.
'जरनल नेचर' में प्रकाशित एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट पर फाइजर टीका का असर ज्यादा नहीं दिखा. रिपोर्ट के अनुसार, डेल्टा वैरिएंट के असर को रोकने में फाइजर 64 प्रतिशत तक प्रभावी है.
कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल
कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे सामने आ चुके हैं. हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कहा कि उसने कोवैक्सीन के लिए फाइनल फेज- 3 के डेटा का विश्लेषण कर लिया है और उसकी कोवैक्सीन कोरोना के गंभीर मरीजों और डेल्टा वेरिएंट के मरीजों पर असरदार पाई गई है. भारत बायोटेक द्वारा जारी ट्रायल के डेटा के अनुसार, फाइनल चरण के ट्रायल में देसी वैक्सीन कोवैक्सीन कोरोना के खिलाफ 77.8 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है.
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