राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को मंज़ूरी प्रदान कर दी गई है. इस मंजूरी के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर से अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जायेंगे. इससे पूर्व लोकसभा और राज्यसभा में पारित पुनर्गठन विधेयक 2019 के आधार पर इन क्षेत्रों का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों में किये जाने का प्रस्ताव रखा गया था.
केंद्र शासित प्रदेश बन जाने पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश के लिए नये उदारहण होंगे क्योंकि क्षेत्रफल के हिसाब से जम्मू-कश्मीर देश का सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख क्षेत्रफल के आधार पर देश का दूसरा सबसे केंद्र शासित प्रदेश होगा.
पूर्व घटनाक्रम
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए सदन में प्रस्ताव रखा था. इस बिल के साथ ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल भी लाया गया था. इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भौगौलिक परिस्थितियों के कारण लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाया जायेगा, परन्तु इसकी कोई विधानसभा नहीं होगी. इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करके उसे भी केंद्र शासित प्रदेश माना जायेगा.
अनुच्छेद-370 के बारे में जानकारी
• अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये.
• इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
• इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है.
• जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
• भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
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