भारत ने ओडिशा में सोमवार को पृथ्वी-II मिसाइल का दोहरा सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. पृथ्वी II मिसाइल को साल 2003 में भारतीय सेना में शामिल किया गया. यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है.
भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम स्वदेशी पृथ्वी दो मिसाइलों का एक के बाद एक त्वरित गति से दो बार सफल प्रक्षेपण किया. इससे पहले इसी परिसर से 12 अक्तूबर 2009 को इसी प्रकार का दोहरा परीक्षण किया गया.
- पृथ्वी II मिसाइल का ओडिशा स्थित बालासोर जिले के चांदीपुर में सफल प्रक्षेपण किया गया.
- 500 से 1000 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम यह मिसाइल देश में बनाया गया है.
- मिसाइल को सुबह 9.35 बजे एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-3 से एक मोबाइल लॉन्चर से प्रक्षेपित किया गया.
- सतह से सतह पर 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल दो तरल प्रणोदक (दो लिक्विड प्रपल्शन) इंजन से चलती है.
पृथ्वी-II की विशेषताएं -
- पृथ्वी-II भारत की पहली देश में निर्मित बैलिस्टिक मिसाइल है.
- यह सतह से सतह पर 350 किलोमीटर तक मार करती है.
- पृथ्वी-II लिक्विड और सॉलिड, दोनों तरह के ईंधन से ऑपरेट होती है. यह परंपरागत और परमाणु, दोनों तरह के हथियार ढोने में सक्षम है.
- इससे पहले पृथ्वी-II का सफल यूजर ट्रायल 16 फरवरी 2016 और 14 नवंबर 2014 को किया गया.
- पृथ्वी-II में दो इंजन लगे हैं
- इसकी लंबाई 8.56 मीटर, चौड़ाई 1.1 मीटर और वजन 4,600 किलोग्राम है.
- यह मिसाइल 483 सेकेंड तक और 43.5 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है.
- अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों की निगरानी में विशेष रूप से गठित सामरिक बल कमान (एएफसी) ने प्रक्षेपण की संपूर्ण गतिविधियां कीं.
- मिसाइल के मार्ग पर ओडिशा के तट पर स्थित टेलीमेट्री स्टेशनों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणालियों और डीआरडीओ रडारों से नजर रखी गई.
- भारतीय सैन्य बलों में वर्ष 2003 में शामिल की गई नौ मीटर लंबी पृथ्वी 2 ऐसी पहली मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया है.
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