पुडुचेरी सरकार द्वारा राज्य में पर्यावरण हितैषी कदम उठाते हुए एक बार उपयोग किये जाने वाले प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है. यह जानकारी पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने जारी की है. यह फैसला 01 मार्च 2019 से प्रभावी हो जायेगा.
कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “हम भावी पीढ़ी को एक प्लास्टिक मुक्त पुडुचेरी उपहार में देना चाहते हैं और पर्यावरण के हित में प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग और ब्रिकी पर अंकुश लगाना चाहते हैं.”
पुडुचेरी में प्लास्टिक पर प्रतिबंध
• प्लास्टिक पर प्रतिबंध के फैसले को प्रभावशाली रूप से लागू करने के लिए सरकार व्यापारियों तथा आम लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए अभियान शुरु करेगी.
• पुडुचेरी सरकार ने कहा है कि प्लास्टिक फ्री पुडुचेरी भविष्य की पीढ़ी के लिए एक तोहफा होगा और निर्णय पर्यावरण की दृष्टि से सार्वजनिक हित में लिया गया है.
• दूसरी ओर, उद्योगपतियों का तर्क है कि प्लास्टिक ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है, परन्तु जिस प्रकार डिस्पोजेबल प्लास्टिक के निपटान का भी उचित तरीका खोजा जाना चाहिए.
• गौरतलब है कि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु ने जून 2018 में ऐसी ही घोषणा की थी.
• तमिलनाडु राज्य सरकार ने कहा था कि वह एक जनवरी, 2019 से ‘भविष्य की पीढ़ियों को प्लास्टिक-मुक्त राज्य का उपहार’ देने के लिए गैर-बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग सहित प्लास्टिक की तमाम वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगी.
भारत में प्लास्टिक कचरा |
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश में सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा बोतलों से आता है. वर्ष 2015-16 में करीब 900 किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन हुआ था. राजधानी दिल्ली में अन्य महानगरों के मुक़ाबले सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. वर्ष 2015 के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 689.52 टन, चेन्नई में 429.39 टन, मुंबई में 408.27 टन, बेंगलुरु में 313.87 टन और हैदराबाद में 199.33 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ है. |
सिक्किम में सफल प्रयोग का उदहारण
वर्ष 2016 में सिक्किम सरकार द्वारा दो उपयोगी फैसले लिए गये. पहला, सरकारी कार्यालयों तथा सरकारी कार्यक्रमों में पैकेज्ड पेयजल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया. दूसरा, स्टाइरोफ़ोम और थर्मोकोल के डिस्पोज़ेबल प्लेट तथा कटलरी को पूरे राज्य में प्रतिबंधित कर दिया गया. इसका उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के बढ़ते अम्बर को कम करना तथा कचरे की समस्या से निपटना था. इनके अतिरिक्त जुर्मानों और जागरुकता अभियानों के द्वारा सिक्किम का प्रदर्शन दूसरे राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है.
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