कतर द्वारा ओपेक समूह को छोड़ने की घोषणा, जानिए भारत पर क्या होगा असर

Dec 4, 2018, 09:44 IST

कतर तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का विश्व में सबसे बड़ा निर्यातक देश है. विश्व भर के प्राकृतिक गैस उत्पादन में इसकी 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

Qatar decided to leave OPEC to focus on gas impact on India
Qatar decided to leave OPEC to focus on gas impact on India

कतर के ऊर्जा मंत्री साद अल-काबी ने 03 दिसंबर 2018 को घोषणा की कि कतर एक जनवरी 2019 से तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक से बाहर हो जाएगा. काबी ने घोषणा में कहा कि यह राजनीतिक नहीं बल्कि तकनीकी और रणनीतिक फैसला है.

कतर के ऊर्जा ने कहा कि कतर प्राकृतिक गैस उत्पादन सालाना 77 मिलियन टन से बढ़ाकर 110 मिलियन टन करना चाहता है. इस योजना पर फोकस करने के लिए ओपेके से बाहर होने का फैसला लिया गया है.

कतर द्वारा ओपेक छोड़ने का कारण

कतर तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का विश्व में सबसे बड़ा निर्यातक देश है. विश्व भर के प्राकृतिक गैस उत्पादन में इसकी 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कतर चाहता है कि प्राकृतिक गैस मंत विश्वभर में उसका वर्चस्व बढ़े जिसके लिए उसे उस पर फोकस करने हेतु ओपेक को छोड़ना होगा.

यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ओपेक से बाहर होने के बाद कतर कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा सकता है. वह ओपेक का 11वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. कतर ने अक्टूबर 2018 में प्रतिदिन 6.10 लाख बैरल तेल का प्रोडक्शन किया. कतर वर्ष 1961 से ओपेक का सदस्य है.

 

Qatar decided to quit OPEC

 

ओपेक (OPEC) और इसके सदस्य देश

ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC)) पेट्रोलियम उत्पादक 15 देशों का संगठन है. विश्व के मामलों पर ओपेक का प्रभाव न केवल तेल उद्योग में शामिल कंपनियों के लाभ को प्रभावित करता हैं, बल्कि परिवहन, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र को भी प्रभावित करता है. अल्जीरिया, अंगोला, कॉन्गो, इक्वाडोर, इक्वाटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाईजीरिया, कतर, सऊदी अरब, यूएई और वेनेजुएला इसके सदस्य देश हैं.



भारत पर प्रभाव

•    विशेषज्ञों का मानना है कि कतर के फैसले का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि, भारत के प्रमुख तेल निर्यातक देश ईराक, सऊदी अरब और ईरान हैं.

•    तेल के अतिरिक्त भारत के कतर के साथ ज्यादा व्यापारिक संबंध भी नहीं हैं.

•    अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह के भारत को भविष्य में यदि ईरान से आयात घटाना पड़ा तो वह कतर से आयात बढ़ाने का विकल्प चुन सकता है.

•    साथ ही, यदि आने वाले समय में भारत और कतर के संबंध मित्रवत रहते हैं तो भारत को कतर से सस्ते दाम पर गैस मिल सकती है.


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ओपेक (OPEC) और इसके सदस्य देश

ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC)) पेट्रोलियम उत्पादक 15 देशों का संगठन है. विश्व के मामलों पर ओपेक का प्रभाव न केवल तेल उद्योग में शामिल कंपनियों के लाभ को प्रभावित करता हैं, बल्कि परिवहन, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र को भी प्रभावित करता है. अल्जीरिया, अंगोला, कॉन्गो, इक्वाडोर, इक्वाटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाईजीरिया, कतर, सऊदी अरब, यूएई और वेनेजुएला.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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