राजधानी दिल्ली में नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा जनवरी 2019 से पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक अनूठी पहल की गई है. इसके तहत राजधानी में पेड़ों पर क्यू आर कोड (QR Code) लगाए गये हैं.
एनडीएमसी द्वारा पेड़ों पर लगाए गये क्यूआर कोड का उद्देश्य इन पेड़ों के बारे में जानकारी से लोगों को अवगत कराना है. इन कोड्स को स्कैन करके पेड़ों के बारे में उपलब्ध जानकारी से रूबरू हुआ जा सकता है.
पेड़ों पर क्यू आर कोड
• दिल्ली में सबसे पहले लोधी गार्डन में पेड़ों पर नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने खास क्यूआर कोड लगाए हैं.
• इन्हें स्मार्टफोन से स्कैन करके पेड़ की उम्र, जीवनकाल, बॉटेनिकल नेम, कॉमन नेम और उनके खिलने और बढ़ने के मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
• लगभग 90 एकड़ में फैले इस बगीचे में बोन्साई पार्क, हर्बल गार्डन, बांस के बगीचे हैं.
• विभाग द्वारा कहा गया है कि यह क्यू आर कोड चुनिंदा पेड़ों पर लगाए गए हैं, जिनकी संख्या बढ़ाई जाएंगी.
अन्य स्थानों पर इस प्रकार की पहल
• अमेरिकी की यूनिवर्सिटी ऑफ मिनिसोटा में छात्रों ने यहाँ के कैंपस के पेड़ों की जानकारी के क्यू आर कोड पेड़ों पर लगा दिए थे. उनके इस कार्य को काफी सराहा गया और अन्य स्थानों पर भी इस प्रकार किया गया.
• चीन के हेबाई प्रांत के शिलिंगशुई गांव में एक लाख तीस हजार पेड़ों को क्यू आर कोड के शेप में उगाया गया था. इसे ऊंची जगह से स्कैन करके इलाके के बारे में पूरी जानकारी ली जा सकती है.
• भारत के महाराष्ट्र स्थित सोलापुर में पेड़ों में चिप लगा दी गई है. इस चिप के कारण यह पेड़ काटने पर अलर्ट भेजते हैं.
क्यू आर कोड (QR Code) क्या होता है?
क्यू आर कोड दरअसल क्विक रिस्पांस कोड का संक्षिप्त रूप है. यह दिखने में चौकोर बार कोड होता है. क्यू आर कोड को सबसे पहले जापान में ऑटोमोटिव उद्योग के लिए विकसित तथा प्रयोग किया गया था. इसका प्रयोग जानकारी को प्रयोगकर्ता से स्मार्टफोन पर भेजने के लिए किया जाता है. यह कोड काफी सारी जानकारी एक ही बार में संग्रहित कर सकते हैं जैसे कैलेंडर के कार्यक्रम, फ़ोन नंबर, टेक्स्ट संदेश, उत्पाद विवरण और ई-मेल संदेश आदि.
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