राज्यसभा सदस्य अब किसी भी भारतीय भाषा में बोल सकेंगे

राज्यसभा में पहले केवल 12 भाषाओं में बोलने की व्यवस्था थी जिनके लिए अनुवादक नियुक्त किये गये थे लेकिन अब संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा का प्रयोग किया जा सकता है.

Jul 11, 2018, 10:29 IST
Rajya Sabha members can now choose any Indian language to speak
Rajya Sabha members can now choose any Indian language to speak

राज्यसभा के सदस्य अब किसी भी भारतीय भाषा में अपनी बात सदन में रख सकेंगे. संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा का प्रयोग किया जा सकता है.

राज्यसभा का मॉनसून सत्र 18 जुलाई 2018 को आरंभ हो रहा है जिससे पूर्व यह घोषणा की गई है. राज्यसभा से सभापति एम वैंकेया नायडू ने कहा कि मुझे हमेशा से यह महसूस होता रहा है कि हमारी भावनाओं और विचारों को बगैर किसी अवरोध के जाहिर करने के लिए मातृभाषा प्राकृतिक माध्यम है. उन्होंने कहा कि संसद जैसी बहुभाषी संस्था में सदस्यों को भाषाई बाधाओं के चलते अन्य की तुलना में खुद को अक्षम या तुच्छ नहीं समझना चाहिए.

राज्यसभा द्वारा की गई घोषणा

•    राज्यसभा सचिवालय ने इस संबंध में पूरा बंदोबस्त कर लिया है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज सभी 22 भाषाओं में राज्यसभा सदस्य अपनी बात कह सकें.

•    सदन में चर्चा के दौरान फिलहाल 17 भाषाओं के ही अनुवादक उपलब्ध थे.

•    राज्यसभा के सभापति के निर्देश पर पांच अन्य भाषाओं के अनुवादकों की भी नियुक्ति कर ली गई है.

•    इन भाषाओं में डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी प्रमुख हैं.

•    राज्यसभा सचिवालय ने पांच भाषाओं के अनुवादकों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण देने का काम पूरा कर लिया गया है.

पृष्ठभूमि

•    राज्यसभा में पहले केवल 12 भाषाओं में बोलने की व्यवस्था थी जिनके लिए अनुवादक नियुक्त किये गये थे.

•    इन भाषाओं में असमी, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल थीं.

•    इसके बाद अनुवादकों की सहायता से पांच अन्य भाषाओं बोडो, मैथिली, मणिपुरी, मराठी और नेपाली में बोलने की सुविधा प्रदान की गई.

•    अनुवादकों की नियुक्ति में राज्यसभा सचिवालय ने विश्वविद्यालयों, दिल्ली में राज्यों के सदनों और कुछ अन्य संगठनों की मदद ली.

संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषाएं

आठवीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाओं का उल्लेख किया गया है. इस अनुसूची में 1950 में 14 भाषाएँ (असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, मराठी, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू) थीं. बाद में सिंधी को 1967 में तथा कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को 1992 में शामिल किया गया, जिससे इन भाषाओं की संख्या 18 हो गई. तत्पश्चात वर्ष 2003 में बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली को शामिल किया गया और इस प्रकार इस अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हो गईं.


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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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