भारत की राज्यसभा ने 09 अगस्त, 2021 को संक्षिप्त चर्चा के बाद, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को वापस लौटा दिया है. इस कराधान कानून (संशोधन) विधेयक (टैक्सेशन लॉज़ अमेंडमेंट बिल), 2021 के माध्यम से भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए वर्ष, 2012 के पूर्वव्यापी कर कानून के तहत की गई कर मांगों को वापस लेने का प्रयास किया गया है.
कांग्रेस, TMC, द्रमुक और वाम दलों सहित विपक्ष ने इस दौरान वाकआउट किया था.
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 में आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2012 में संशोधन करने और विवादास्पद पूर्वव्यापी कर मांग प्रावधान को वापस लेने का प्रयास किया गया है.
लोकसभा ने पहले 06 अगस्त, 2021 को बिल पारित किया था. इस बिल में आय कर अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव है कि, " तारीख 28 मई, 2012 से पहले लेनदेन होने पर भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए उक्त पूर्वव्यापी संशोधन के आधार पर भविष्य में कोई कर मांग नहीं उठाई जाएगी." 28 मई, 2012 को इस वित्त अधिनियम, 2012 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई थी.
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021: मुख्य विशेषताएं
• कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 भारतीय संपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए वर्ष, 2012 के पूर्वव्यापी कानून के तहत की गई कर मांगों को वापस लेने का प्रयास करता है.
• इसमें यह प्रावधान करने के लिए वित्त अधिनियम, 2012 में संशोधन का भी प्रस्ताव है कि, वित्त अधिनियम, 2012 की धारा 119 के तहत मांग का सत्यापन, निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने पर, लागू होना बंद हो जाएगा.
महत्त्व
• इस बिल से वोडाफोन और केयर्न एनर्जी सहित कई कंपनियों को लाभ होने की संभावना है, जिन्हें पूर्वव्यापी कर मांग प्रावधान के आधार पर कर का भुगतान करना पड़ा था.
• यह महत्वपूर्ण है क्योंकि देश आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जब, कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार करना इस समय की आवश्यकता है और, विदेशी निवेश तेजी से आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
पृष्ठभूमि
• सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष, 2012 में एक फैसला दिया था कि, भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ आयकर अधिनियम, 1961 के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं.
• आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधित किया गया था.
•वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा किए गए इन संशोधनों के कारण, संशोधनों को दिए गए पूर्वव्यापी प्रभाव के संबंध में, मुख्य रूप से हितधारकों ने आलोचना की है.
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