केंद्र सरकार ने राज्यसभा में 30 जुलाई 2019 को तीन तलाक विधेयक पेश कर दिया. इस विधेयक को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया. लोकसभा से 26 जुलाई 2019 को यह बिल पास हो चुका है. लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अब तक 15 विधेयक पारित किए जा चुके हैं. अब तक 6 बिल केवल लोकसभा में और 4 बिल केवल राज्यसभा में पारित किए गए हैं.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने इसके लिए व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का आदेश दिया है. इस विधेयक को लोकसभा पहले ही मंजूरी दे चुकी है. यह विधेयक पिछली लोकसभा में भी पास हुआ था पर राज्यसभा ने इसे लौटा दिया था.
केंद्र सरकार इस बिल में कुछ बदलावों के साथ दोबारा लेकर आई है. बीजू जनता दल (बीजेडी) ने तीन तलाक को लेकर कहा है कि पार्टी राज्यसभा में बिल को समर्थन करेगीं. तीन तलाक को अपराध बनाने वाले बिल को चर्चा तथा पास कराने के लिए राज्यसभा में लाया गया है. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए तीन साल की सजा एवं जुर्माने का प्रावधान शामिल है.
विधेयक के तहत किये गए प्रावधान
• इस विधेयक में तीन तलाक को अपराध माना गया है. तीन तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुषों को सजा देने का प्रावधान किया गया है.
• इस विधेयक में तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान है. इस विधेयक के तहत पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकता है.
• विधेयक के तहत नाबालिग बच्चों को पीड़ित महिला अपने पास रख सकती है. मजिस्ट्रेट इसके बारे में तय करेगा.
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• मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा.
• इस विधेयक के तहत सजा का प्रावधान तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी शिकायत करे.
• पीड़ित महिला विधेयक के तहत पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है. मजिस्ट्रेट द्वारा गुज़ारा भत्ते की राशि तय की जायेगी.
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