भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 06 जून 2019 को अपनी क्रेडिट पॉलिसी जारी की. इसमें आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की घोषणा की. आरबीआई ने इस तरह लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है.
अब रेपो रेट 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हो गई है. यह रेपो रेट पिछले 9 साल में सबसे कम है. रेपो रेट में कमी से सभी तरह के लोन सस्ते होंगे. एनईएफटी (NEFT) और आरटीजीएस (RTGS) से पैसे ट्रांसफर करने पर अब कोई चार्ज नहीं लगेगा.
रेपो रेट क्या है?
आरबीआई की मॉनेटरी कमेटी ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. इस कटौती के साथ ही अब आरबीआई देश के बैंकों को 5.75 प्रतिशत की दर पर कर्ज उपलब्ध कराएगा. रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है.
लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती:
बता दें कि शक्तिकांत दास के आरबीआई के गवर्नर बनने के बाद यह लगातार तीसरी कटौती है. इससे पहले फरवरी और अप्रैल की पॉलिसी में भी आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की गई थी. आरबीआई द्वारा अब तक तीन पॉलिसी में 0.75 फीसदी की कटौती की जा चुकी है.
रिवर्स रेपो रेट में कटौती:
आरबीआई द्वारा पॉलिसी में रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव किया गया है. रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया गया है. यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे.
एमएसएफ में कटौती:
आरबीआई की ओर से मार्जिनल स्टेंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) में 0.25 फीसदी की कटौती की है. अब एमएसएफ 6.25 फीसदी से घटकर 6 फीसदी हो गया है. एमएसएफ वह न्यूनतम दर है जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को ब्याज पर ऋण देती है.
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बैंक रेट में कटौती:
आरबीआई द्वारा बैंक रेट में भी 0.25 फीसदी की कटौती की गयी है. अब बैंक रेट 6.25 फीसदी से घटकर 6 फीसदी हो गया है. बैंक दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंको को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर कर्ज प्रदान करता है.
सीआरआर:
सीआरआर को 4 फीसदी पर ही रखा गया है. देश में लागू बैंकिंग नियमों के अंतर्गत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा आरबीआई के पास रखना होता है. इसे ही नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहते हैं.
महंगाई अनुमान में किया बदलाव:
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए महंगाई अनुमान बढ़ाया है. पहली छमाही में सीपीआई (CPI) महंगाई दर के लिए अनुमान 3-3.1 प्रतिशत रखा गया है. वहीं, दूसरी छमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.4-3.7 प्रतिशत रखा गया है.
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