भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई के दबाव में लगभग दो साल बाद रेपो रेट बढ़ा दिया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 04 मई 2022 को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत बढ़ोतरी की जानकारी दी. इससे पहले चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (MPC) में आरबीआई की ओर से रेपो रेट में लगातार 11वीं बार बदलाव नहीं किया गया था.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी की बढ़ती कीमतों एवं पेट्रोल-डीजल सहित अन्य ईंधन के बढ़ते दबाव की वजह से हमें रेपो रेट में बदलाव करना पड़ रहा है. अब रेपो रेट 4 प्रतिशत की बजाए 4.40 प्रतिशत रहेगी. आरबीआई ने मई 2020 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था.
रेपो रेट क्या है?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस फैसले से पहले मौद्रिक नीति समिति की 2 मई से 4 मई 2022 तक बैठक की गई और सभी सदस्यों ने रेपो रेट में बढ़ोतरी के पक्ष में समर्थन किया. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं. यही वजह है कि इस दर में बदलाव का सीधा असर खुदरा कर्ज पर पड़ता है.
Statement by Shri Shaktikanta Das, RBI Governor https://t.co/cktaninqLF
— ReserveBankOfIndia (@RBI) May 4, 2022
इसका क्या होगा प्रभाव?
रेपो रेट बढ़ने का असर होम लोन, कार लोन या अन्य किसी भी लोन पर पड़ेगा. अगर आपका पहले से लोन चल रहा है या आप लोन लेने वाले हैं तो आने वाले दिनों में बैंक की ओर से ब्याज दर बढ़ने से ईएमआई (EMI) पहले के मुकाबले ज्यादा जाएगी. इसका प्रभाव नए और पुराने दोनों ग्राहकों पर होगा.
रूस-यूक्रेन युद्ध बड़ा कारण
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हम पिछले दो साल से कोरोना महामारी से जूझ रहे थे और इस दौरान सभी तरह की सहूलियतें दी गईं. अब रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से नई तरह की चुनौतियां पैदा हो गईं तथा महंगाई का दबाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में हमें रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी करनी पड़ी. इस कदम से खुदरा महंगाई को थामने में सहायता मिलेगी.
सीआरआर भी 0.50 प्रतिशत बढ़ा
आरबीआई ने बाजार में मौजूद अतिरिक्त पूंजी तरलता को घटाने हेतु बैंकों का सीआरआर भी 0.50 प्रतिशत बढ़ा दिया है. अब बैंकों का कैश रिजर्व रेशियो (CRR) बढ़कर 4.50 प्रतिशत हो गया है. सीआरआर जो आरबीआई के पास बैंकों को रखना होता है उसपर RBI बैंकों को ब्याज भी नहीं देती है. सीआरआर में बढ़ोतरी 21 मई 2022 से लागू होगा.
मॉनिटरी पॉलिसी क्या होता है?
मॉनिटरी पॉलिसी ऐसे फाइनैंशियल टूल्स है. इसके जरिए आरबीआई देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के साथ उसे गति देने का भी काम करती है.
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