भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 05 अप्रैल 2018 को वित्त वर्ष 2018-19 की अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की. हालांकि आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया हैं.
आरबीआई ने रेपो रेट को पहले की ही तरह 6.0 फीसदी पर बनाए रखा है. लगातार चौथी समीक्षा बैठक में आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया है.
रेपो रेट:
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के लोन का सस्ता होना होता है.
रिवर्स रेपो रेट:
रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है.
बैंक रेट को भी पहले की ही तरह 6.25 फीसदी पर रखा गया है जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी के स्तर पर बनाए रखा गया है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर पिछले महीने से घटकर 4.44 फीसदी रही. इससे पहले जनवरी में महंगाई दर 5.07 फीसदी दर्ज की गई थी. लेकिन यह आरबीआई की ओर से निर्धारित मध्यम अवधि में चार फीसदी महंगाई दर से अधिक दर्ज की गई है.
इसके साथ ही आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 के पहली छमाही के लिए महंगाई के आंक़ड़े को घटाकर 4.7-5.1 और दूसरी छमाही के लिए इसे घटाकर 4.4 फीसदी कर दिया है.
आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट के 7.3-7.4 फीसदी जबकि दूसरी छमाही के दौरान इसके 7.3-7.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
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