भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित अरुण भादुड़ी का 18 दिसंबर 2018 को निधन हो गया. वे 75 वर्ष के थे. पंडित भादुड़ी के परिवार में पत्नी और पुत्र हैं.
बांग्ला गीतों और भजनों के सम्राट माने जाने वाले पंडित भादुड़ी पिछले कुछ समय से सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे. वे राज्य संगीत अकादमी में गुरु थे तथा वर्ष 2014 में उन्हें बंगबिभूषण सम्मान दिया गया था.
पंडित अरुण भादुड़ी
• पंडित अरुण भादुरी का जन्म 7 अक्टूबर, 1943 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुआ था.
• वे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत तथा अर्ध-शास्त्रीय संगीत से सम्बंधित थे. वे किराना तथा रामपुर घराना के विशेषज्ञ थे. वे विभिन्न श्रेणियों के मिश्रण के लिए जाने जाते थे.
• मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित अरुण भादुड़ी ने आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी में शिक्षक के रुप में अपनी सेवा दी थी और वह शीर्ष रेडियो और टेलीविजन कलाकार थे.
• उन्हें मोहम्मद ए दौद और मोहम्मद सागिरुद्दीन खान से भारतीय संगीत का प्रशिक्षण मिला था.
• संगीत के क्षेत्र में शानदार योगदान के कारण वर्ष 2014 में उन्हें राज्य का सबसे शीर्ष नागरिक सम्मान बंगबिभूषण दिया गया था.
• मशहूर गायक पंडित अजय चक्रवर्ती ने पंडित भादुड़ी के निधन पर शोक प्रकट किया. उन्होंने उन्हें अपना गुरुभाई बताया.
• अपने अंतिम दिनों में उन्हें फेफड़े में संक्रमण के कारण सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी. साथ ही वे क्रानिक अब्स्ट्रेक्शन पालमोनारी डिजीज (सीओपीडी) की समस्या से भी जूझ रहे थे.
भारतीय शास्त्रीय संगीत
भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है. शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं. शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं. भारतीय शास्त्रीय संगीत की परम्परा भरत मुनि के नाट्यशास्त्र और उससे पहले सामवेद के गायन तक जाती है. भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र, भारतीय संगीत के इतिहास का प्रथम लिखित प्रमाण माना जाता है. इसकी रचना के समय के बारे में कई मतभेद हैं. आज के भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई पहलुओं का उल्लेख इस प्राचीन ग्रंथ में मिलता है.
भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो प्रमुख पद्धतियां हैं- हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत. हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं. आमतौर पर कर्नाटक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं.
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