विश्व के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भारत का ग्रामीण स्वच्छता कवरेज बढ़कर 85 प्रतिशत हो गया है.
एक स्वतंत्र सत्यापन एजेंसी द्वारा हाल में 6000 से अधिक गांवों में 90 हजार परिवारों में कराए गए शौचालयों का उपयोग 93.4 प्रतिशत पाया गया.
भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा 2017 में तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा 2017 में कराए गए सर्वेक्षणों में शौचालयों का उपयोग क्रमश: 91 प्रतिशत और 95 प्रतिशत पाया गया. यह सफलता स्वच्छ भारत मिशन द्वारा स्वच्छता के लिए अलग दृष्टिकोण अपनाने के कारण मिली है.
मुख्य तथ्य:
- ग्रामीण समुदायों को सक्रिय बनाने के कारण ग्रामीण भारत में 7.4 करोड़ शौचालय बनाए गए जिसके परिणामस्वरूप 3.8 लाख से अधिक गांव और 391 जिले खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किए गए हैं.
- यह महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत मिशन लांच किए जाने के समय से कवरेज बढ़कर दोगुना से अधिक हो गया है.
स्वच्छ भारत मिशन के बारे में |
स्वच्छ भारत मिशन देश का पहला स्वच्छता कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य आउटपुट (शौचालय) के स्थान पर परिणामों (ओडीएफ) को मापना है. स्वच्छ भारत मिशन का बल जमीनी स्तर पर ग्रामीण स्वच्छता में व्यवहार परिवर्तन पर है. इस संबंध में हुई प्रगति का कठोरता से सत्यापन किया जाता है.स्वच्छ भारत मिशन एक जन आंदोलन है और जन भागीदारी के कारण मिशन के अंतर्गत इसकी सफलता देखी जा रही है. मिशन का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगाँठ को सही रूप में श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत की प्राप्ति करना है. स्वच्छ भारत का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को कम करना या समाप्त करना है. सरकार ने 2 अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है. |
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