हाल ही में साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 की घोषणा हो चुकी है. राजनेता एवं लेखक शशि थरूर तथा नाटककार नंद किशोर आचार्य समेत 23 लेखकों को साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 के लिए चुना गया है.
साहित्य अकादमी ने 18 दिसंबर 2019 को इन नामों की घोषणा की. साहित्य अकादमी के अनुसार, इन सभी विजेताओं को 24 फरवरी 2020 को दिल्ली में ताम्र पत्र और एक लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ सम्मानित किया जाएगा.
कांग्रेस नेता शशि थरूर को उनकी अंग्रेजी में लिखी पुस्तक 'एन इरा ऑफ डार्कनेस' हेतु पुरस्कृत किया जा रहा है. वहीँ, नंद किशोर आचार्य को यह पुरस्कार उनकी हिंदी कविता 'छीलते हुए अपने को' के लिए दिया जा रहा है.
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 पूर्ण सूची: एक नजर में
लेखक | पुस्तक (शीर्षक और शैली) | भाषा |
शशि थरूर | एन इरा ऑफ डार्कनेस | अंग्रेजी |
नंदकिशोर आचार्य | छीलते हुए अपने को | हिन्दी |
जयश्री गोस्वामी महंत | चाणक्य | असमिया |
एल. बिरमंगल सिंह | ई अमादी अदुनगीगी ईठत | मणिपुरी |
चो. धर्मन | सूल | तमिल |
बंदि नारायणा स्वामी | सेप्ताभूमि | तेलुगु |
फुकन चन्द्र बसुमतारी | आखाइ आथुमनिफ्राय | बोडो |
निलबा आ. खांडेकार | धवर्डस | कोंकणी |
कुमार मनीष अरविन्द | जिनगीक ओरिआओन करैत | मैथिली |
वी. मधुसूदनन नायर | अचन पिरन्ना वीदु | मलयालम |
अनुराधा पाटील | कदाचित अजूनही | मराठी |
पेन्ना-मधुसूदनः | प्रज्ञाचाक्षुषम् | संस्कृत |
अब्दुल अहद हाज़िनी | अख़ याद अख़ कयामत | कश्मीरी |
तरुण कांति मिश्र | भास्वती | ओड़िया |
किरपाल कज़ाक | अंतहीन | पंजाबी |
रामस्वरूप किसान | बारीक बात | राजस्थानी |
काली चरण हेम्ब्रम | सिसिरजली | संथाली |
ईश्वर मूरजाणी | जीजल | सिंधी |
चिन्मय गुहा | घुमेर दरजा थेले | बाड्ला |
ओम शर्मा जन्द्रयाड़ी | बंदरालता दर्पण | डोगरी |
रतिलाल बोरीसागर | मोजमा रेवुं रे | गुजराती |
विजया | कुड़ी एसारू | कन्नड़ |
शफी किदवई | सवनेह-सर सैयद : एक बाज़दीद | उर्दू |
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साहित्य अकादमी पुरस्कार के बारे में
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है. साहित्य अकादमी द्वारा यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है. यह अकादमी प्रतिवर्ष भारत को अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है.
ये पुरस्कार पहली बार साल 1955 में दिये गये थे. पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि केवल पांच हजार रुपए थी लेकिन समय-समय पर यह राशि बढ़ती गई.
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