सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को आयकर में छूट यथावत जारी रखने का निर्णय दिया है. राजनैतिक दलों को चंदे से प्राप्त होने वाली रकम को आयकर से छूट देने के मामले में जनहित याचिका दायर की गयी थी.
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय-
- सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को आयकर में छूट पर रोक लगाने वाली याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि इस मामले में कानून 50 वर्ष पुराना है इसलिए मामले पर तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता ही नहीं है.
- पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर सुनवाई हेतु 11 जनवरी 2017 की तिथि निर्धारित की थी.
- सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले दान पर आयकर छूट को चुनौती देने वाली याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि इससे किसी भी संविधान का उल्लंघन नहीं होता.
संविधान पीठ का तर्क-
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा की राजनीतिक दलों को आयकर में छूट मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग ठुकरा दी.
- संविधान पीठ के अनुसार याचिका में आयकर कानून के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. ये कानून 1961 का है, इस पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है.
- इस याचिका पर अवकाश के बाद नियमित पीठ सुनवाई करेगी.
याचिका के बारे में-
सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गयी जनहित याचिका में धारा 13(ए) को निरस्त करने और राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुप्तदान की सीबीआई जांच की भी मांग की गई थी.
केन्द्रीय चुनाव आयोग का सुझाव-
- केन्द्रीय चुनाव आयोग ने भी चुनाव में काले धन के प्रवाह पर रोक लगाने के प्रयास के तहत सरकार से कानूनों में संशोधन का आग्रह किया था.
- राजनीतिक दलों को 20000 रुपये तक की धनराशि पर आयकर से छूट प्राप्त है.जबकि मांग पत्र में दो हजार रुपये और उसके ऊपर दिए जाने वाले गुप्त योगदानों पर रोक लगाने की मांग की गयी थी.
राजनितिक दल-
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता बरती जानी चाहिए.
- यदि सभी दलों की सहमति बन जाए तो बीजेपी भी इस मामले में अगुवाई करने के लिए तैयार है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में चुनाव सुधार की दिशा में बढ़ने वाले हर कदम के समर्थन की बात भी कही.
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