यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिकों के एक समूह ने स्टेम सेल वाला एक नया बायो– इंक (जैव– स्याही) बनाया है जो जटिल सजीव उतकों का 3D प्रिंटिंग कर सकता है.
नई स्टेम– सेल वाली जैव स्याही सजीव ऊतकों की 3D प्रिंटिंग की अनुमति देता है, इसे बायो– प्रिंटिंग कहा जाता है.
टीम की इस खोज को एडवांस्ड हेल्थकेयर मटेरियल्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया था.
इस तकनीक की मुख्य विशेषताएं
• इस्तेमाल किए गए बायो– इंक (जैव– स्याही) में समुद्री शैवाल से मिलने वाला प्राकृतिक बहुलक (पॉलिमर) और चिकित्सा उद्योग में इस्तेमाल किया जाने वाला लाभहीन सिंथेटिक बहुलक (पॉलिमर) शामिल है.
• जब कोशिका पोषक तत्वों को शामिल किया जाता है तब समुद्री शैवाल बहुलक संरचनात्मक समर्थन प्रदान करते हैं.
• जैसे ही तापमान बढ़ता है सिंथेटिक बहुलक बायो–इंक (जैव– स्याही) को तरल से ठोस में बदल देते हैं.
• विशेष बायो–इंक को रेट्रोफिट बेंचटॉप– 3D प्रिंटर से तैयार किया गया है जो 37°सेल्सियस पर तरल से जेल में बदल जाता है. सूत्रीकरण जटिल जीवित 3D वास्तुकलाओं के निर्माण की अनुमति देता है.
• स्टेम सेल्स को ऑस्टियोब्लास्ट्स और कॉन्ड्रोसाइट्स में बांटा गया था.
• ऑस्टियोब्लास्ट्स वैसी कोशिकाएं होते हैं जो अस्थि पदार्थ स्रावित करते हैं एवं कॉन्ड्रोसाइट्स वैसी कोशिकाएं होती है जो कार्टिलेज के मैट्रिक्स स्रावित करती हैं एवं फिर इन्हें इसमें लगाया जाता है.
• इसके साथ, ऊतकों की संरचना में एक श्वसननली जैसी उपास्थि वलय था, जहां 5 सप्ताह से अधिक समय में 3D प्रिंटिंग की गई.
• जब इसमें कोशिका पोषकतत्व मिलाए गए, सिंथेटिक बहुलक स्टेम सेल्स और प्राकृतिक समुद्री शैवाल बहुलक को छोड़ते हुए 3 D संरचना से पूरी तरह बाहर हो गए.
• यह, इस प्रकार, संरचना में माइक्रोस्कोपिक छिद्रों का निर्माण किया, जिसने स्टेम सेल्स के लिए अधिक प्रभावी पोषकतत्व प्रदान किया.
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