श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आई एंड बी) द्वारा बनाई गयी समिति ने 26 अप्रैल 2016 को केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस समिति का गठन सेंसर बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) में सुधार करने हेतु किया गया.
समिति को सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 एवं सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) 1983 की नियमावली के तहत सिफ़ारिशों को एक समग्र ढांचे में प्रस्तुत करने के लिया कहा गया.
मुख्य सिफारिशें
• सीबीएफसी को फिल्म सर्टिफिकेशन बॉडी के रूप में कार्य करना चाहिए तथा उसे फिल्म के दर्शकों की आयु एवं वयस्कता के अनुसार सर्टिफिकेट तैयार करना चाहिए.
• सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 की धारा 5 बी (1) बोर्ड को फिल्म पर रोक अथवा इनकार का अधिकार देता है. लेकिन यह निर्णय तभी लिया जा सकता है यदि फिल्म के आपत्तिजनक हिस्सों से देश की अखंडता और संप्रभुता पर आंच आती हो.
• यह सर्टिफिकेशन को उस समय भी मना कर सकती है जब फिल्म में मौजूद सामग्री सर्टिफिकेशन की उच्चतम श्रेणी से अधिक हो.
• सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने वाला फिल्मकार स्वयं बताए कि उसकी फिल्म के दर्शक कौन हैं और वह किस श्रेणी का सर्टिफिकेट चाहता है.
• यदि किसी फिल्मकार को अपनी फिल्म के लिए समय से पहले सर्टिफिकेट चाहिए तो वह सामान्य से पांच गुना अधिक फीस देने के बाद मिलना चाहिए. टीवी पर फिल्म को दिखाने के लिए रिसर्टिफिकेशन का भी प्रावधान हो.
• समिति की सिफारिशों में कहा गया कि बोर्ड में नौ क्षेत्रीय ऑफिसों से एक-एक प्रतिनिधि एवं एक अध्यक्ष होना चाहिए. इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय सलाहकार पैनल में पचास फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की होनी चाहिए.
पृष्ठभूमि
समिति का गठन जनवरी 2016 में सेंसर बोर्ड के परिचालन की देख रेख एवं इसमें आवश्यक सुधारों के लिए सिफारिशों हेतु किया गया. इस समिति को विश्व के उन देशों से प्रक्रिया को समझने के लिए कहा गया जहां फिल्मों में रचनात्मकता एवं कलात्मकता को विशेष महत्व दिया जाता है. समिति में श्याम बेनेगल के अतिरिक्त कमल हासन, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, पीयूष पांडे, गौतम घोष और भावना सोमय्या के अतिरिक्त सूचना प्रसारण मंत्रालय के मनोनीत अधिकारी भी शामिल हैं.
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