रेल बजट इस वर्ष आम बजट का हिस्सा बन गया. वर्ष 1924 से शुरू हुई यह परंपरा वर्ष 2016 में ख़त्म हुई. केंद्र सरकार वर्ष 2017 के रेल बजट में सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देने की तैयारी में है.
हाल ही में ट्रेनों के पटरी से उतरने के कई भीषण हादसों में सैकड़ों जाने गई थीं. रेलवे के लिए 20,000 करोड़ रुपये का सुरक्षा कोष नई पटरियां बिछाने और स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए दिया जा सकता है. जेटली बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे सकते हैं जिसमें नयी रेल लाइनों का विकास, लाइनों का दोहरीकरण, स्टेशनों का पुनर्विकास और सुरक्षा उन्नयन शामिल है.
बजट 2017-18 में रेल विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की जा सकती है जो इसके लिए विनियामक का काम करेगा. इसके अलावा उच्च गति रेल प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक एवं अन्य निदेशकों के चयन के साथ इस प्राधिकरण के गठन की भी घोषणा किए जाने की संभावना है.
देश के प्रमुख रेलमार्गों पर ट्रेनों की गति बढ़ाकर 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक करने की महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा भी की जा सकती है जिसमें 21,000 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्ग की बाड़बंदी शामिल है. इसके अलावा रेलवे ने पिछले नौ महीनों में बुनियादी परियोजनाओं पर खर्च पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले प्रतिशत से अधिक बढ़ाया है.
इसमें नयी लाइनें बिछाना, देशभर में लाइनों का दोहरीकरण और विद्युतीकरण करना इत्यादि शामिल है.
रेल बजट क्या है?
भारतीय रेल का वित्तीय प्रतिवेदन प्रतिवर्ष दिया जाता था, जिसे रेल बजट कहते हैं. इसे भारत के रेल मंत्री संसद में प्रस्तुत करते थे जो मुख्य बजट के कुछ दिन पूर्व किया जाता था.
भारत सरकार ने अब से रेल बजट को आम बजट में सम्मिलित कर लिया. इस प्रकार 12 वर्षों से चली आ रही रेल बजट की प्रथा समाप्त कर दी गयी.
जेम्स विल्सन की पहल पर 18 फरवरी 1860 को वॉयसरॉय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया गया. इस बजट में रेलवे का लेखा-जोखा भी शामिल था.
जेम्स विल्सन को ही भारत में बजट प्रणाली का जन्मदाता कहा जाता है. रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा वर्ष 1924 से शुरू हुई थी.
आजादी के बाद भी यह परंपरा चलती रही जबकि अलग रेल बजट की कोई संवैधानिक विवशता नहीं है. नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई की कमेटी ने रेल बजट खत्म करने की सिफारिश की थी.
भारतीय रेल के बारे में:
भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा एकल प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. यह 150 वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है.
यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, भारतीय रेल में 16 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं.
भारत में रेलों की शुरुआत वर्ष 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है.
वर्ष 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 किमी की दूरी) की दूरी तय की थी. भारतीय रेल के दो मुख्य खंड हैं – भाड़ा या माल वाहन गाड़ी और सवारी गाड़ी.
भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है. भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्ता र हो रहा है.
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