राष्ट्रीय राजधानी स्थित राजघाट में बनी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि पर पहली बार उनकी कांस्य प्रतिमा की स्थापना की गई. भारत के उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 02 अक्तूबर 2017 को स्वतंत्र भारत के शूरवीर की 148वीं जन्मशताब्दी पर महात्मा गांधी की 1.80 लम्बी कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया.
राष्ट्रपिता की समाधि, राजघाट को पहली बार यह नयी विशेषता प्राप्त हुई है जो भारी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करती है. गांधी जी के जीवन व उनके कार्यों पर संवादमूलक व्याख्या केन्द्र, आगंतुकों के लिए एक नया आकर्षण का केंद्र बनेगा.
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प्रमुख तथ्य-
- श्री राम सुतार द्वारा तराशी गई प्रतिमा को राजघाट समाधि परिसर के पार्किग क्षेत्र में 8.73 लाख रूपये की लागत से स्थापित किया गया.
- यह 2 फीट ऊँचे मूर्तितल पर ग्रेनाइट धातु में लिपती हुई है.
- मूर्तितल के सामने की दिशा में गांधी जी का प्रसिद्ध संदेश “जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वही बनो” को उत्कीर्ण किया गया है.
- प्रतिमा को स्थापित करना, गत तीन वर्षों में राजघाट में किए गए बहुसंख्य सुधार कार्यों का हिस्सा है.
- प्रतिदिन 10 हजार लोग राजघाट आते है और विदेशी गणमान्य, सादे काले रंग के पत्थर के चबूतरे पर जहाँ गांधी जी का दाह संस्कार किया गया था, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है. यह नई प्रतिमा उस महान आत्मा को सम्मान देने के लिए एक अन्य स्थान प्रदान करेगी.
श्री वैंकेया नायडू ने परिसर के पार्किग क्षेत्र में व्याख्यान केन्द्र का भी उद्धाटन किया. 5.9 लाख की यह सुविधा एलईडी स्क्रीन पर डिजिटल डिसप्ले द्वारा महात्मा के जीवन और कार्यो के बारे में संवादमूलक व्याख्या सीखने की सुविधा प्रदान करती हैं.
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यहाँ आने वाले आगंतुक चित्रपट, जीवन वृत्तांत देख सकते हैं, गांधीजी के भाषणों को सुन सकते हैं, प्रश्नोत्तरी में भाग लेने के अलावा कान फोन का प्रयोग बिना बाधा के बातचीत के लिए कर सकते हैं.
समाधि परिसर को नया प्रशासनिक खण्ड मिला है जो आगंतुक कक्ष, प्रकाशन इकाई, स्टाफ कक्ष, पेयजल सुविधा से सुसज्जित है. इसका निर्माण लगभग 75 लाख रूपये की लागत से किया गया हैं.
पिछले तीन वर्ष के दौरान आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और राजघाट समाधि समीति ने राजघाट पर आगंतुकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए बहुत से कार्यों को शुरू करने का दायित्व लिया हैं.
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