भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम की घोषणा कर दी गयी है. पीएम मोदी ने हाल ही में तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा किया था. तिरुवनंतपुरम दौरे के दौरान पीएम मोदी ने चारों अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की.
गगनयान मिशन के तहत ये सभी अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में उड़ान भरेंगे. यह भारत का पहला मानव मिशन है. इन चारों एस्ट्रोनॉट में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और शुभांशु शुक्ला शामिल है.
इस आर्टिकल में हम ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर की एक कहानी बताने जा रहे है जिसका खुलासा उनके गगनयान मिशन के लिए चुने जाने के बाद हुआ है.
इस एक्ट्रेस के पति है नायर:
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर मलयालम एक्ट्रेस लीना के पति है दोनों ने 17 जनवरी को शादी की थी. एक्ट्रेस लीना ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये इस बारें में जानकरी दी है. गगनयान मिशन के लिए नायर के नामित होने के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी दी. लीना ने आगे बताया कि नायर को पीएम द्वारा एस्ट्रोनॉट विंग से सम्मानित किया जाना एक ऐतिहासिक क्षण है.
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय वायु सेना के लड़ाकू पायलट, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर को प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री विंग से सम्मानित किया था.
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कौन है लीना:
मलयालम एक्टर लीना ने जयराज की 'स्नेहम' के जरिए मलयालम सिनेमा में डेब्यू किया था. इसके अलावा उन्होंने 'करुणम' और 'ओरु चेरु अमलिसि' जैसी फिल्मों में काम किया है. उन्होंने कन्नड़ फिल्म केजीएफ 2 के मलयालम संस्करण में भी अपनी आवाज दी है.
इसके अलावा लीना ने 'देवदुथन', 'इंद्रियम', 'कोच कोच संतोषमन' और 'शांतम' जैसी फिल्मों में भी काम किया है और 'रंदाम भव' में नायिका के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
1999 में वायु सेना में शामिल हुए थे नायर:
मलयालम भाषा के प्रकाशन मातृभूमि के अनुसार, नायर पलक्कड़ के नेनमारा शहर से हैं और एनएसएस कॉलेज, जो पलक्कड़ में ही है, से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद 1999 में वायु सेना में शामिल हुए. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2024 के अंत तक इन भारतीय एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग देगी.
गगनयान मिशन:
गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक मिशन है. इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर लोअर अर्थ ऑर्बिट का दौरा करेंगे. इसके बाद उन्हें समुद्री जल में लैंडिंग के साथ सुरक्षित धरती पर वापस लाया जाएगा.
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