सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 28 जनवरी 2020 को प्रयोग के तौर पर सरकार को अफ्रीकी चीते को भारत में उचित स्थान पर रखने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वे अपने किसी उचित प्राकृतिक वन्यजीव अभ्यारण्य में अफ्रीकी चीते को रख सकती है.
इस प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने पूरी जांच-पड़ताल के बाद मंजूरी दे दी है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसकी अनुमति देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस परियोजना की निगरानी करेगी. समिति प्रत्येक चार माह में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. इस प्रयोग से देखा जाएगा कि क्या यह चीता भारत की जलवायु में स्वयं को ढाल सकता है.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने यह कहते हुए एक आवेदन दायर किया था कि दुर्लभ भारतीय चीता देश में लगभग विलुप्त होने की कगार पर हैं. एनटीसीए ने इसलिए नामीबिया से अफ्रीकी चीता लाने की अनुमति मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने एनटीसीए की इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. |
तीन सदस्यीय समिति का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक समिति का गठन किया है. इसमें भारतीय वन्यजीव के पूर्व निदेशक रंजीत सिंह, भारतीय वन्यजीव के महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, वन्यजीव के डीआईजी शामिल होंगे. यह समिति इस मुद्दे पर फैसला लेने में एनटीसीए का मार्गदर्शन करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अफ्रीकी चीता बसाने के बारे में फैसला उचित सर्वेक्षण के बाद लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस वन्यजीव को यहां लाने के कदम पर फैसला एनटीसीए के विवेक पर छोड़ा जाएगा.
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीते को किस अभ्यारण्य में रखना सबसे उपयुक्त होगा इस बारे में विशेषज्ञों की समिति एक सर्वे करेगी तथा इस बारे में एनटीसीए को बताएगी.
• सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व वन्यजीव निदेशक रंजीत सिंह का पक्ष सुनने के बाद कहा कि चूंकि यह पायलट परियोजना है, इसलिए इसका विरोध नहीं होना चाहिए.
• कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ समिति के मार्गदर्शन में एनटीसीए देश में चीते को रखने हेतु सर्वोत्तम ठिकाने का सर्वे करेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील दी गई
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि अफ्रीकी चीता को उचित स्थान तक लाने का काम प्रायोगिक तौर पर किया जाएगा ताकि यह देखा जा सके कि वे भारतीय वातावरण के अनुकूल ढल पाते हैं या नहीं.
1952 में चीता विलुप्त प्रजाति घोषित
केंद्र सरकार ने साल 1952 में चीता को विलुप्त प्रजाति घोषित किया था. चीता अकेला जंगली जानवर है, जिसे भारत सरकार ने विलुप्त घोषित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 1948 में सरगुजा के जंगल में आखिरी बार चीता देखा गया था. केंद्र सरकार अब इस प्रजाति की पुनर्स्थापना की कोशिशों में लगी है.
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