जम्मू-कश्मीर के न्यायायिक केस अब देश के दूसरे हिस्सों में ट्रांसफर किए जा सकेंगे

Jul 21, 2016, 12:08 IST

अब तक ऐसा प्रावधान नहीं था. इस मामले में 11 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट आई जिन पर 5 जजों मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला, न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति आर भानुमति की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया.

सिविल और क्रिमिनल कानून में प्रावधान न होने के बावजूद सुप्रीमकोर्ट ने न्याय हित में 19 जुलाई 2016 को जम्मू-कश्मीर राज्य से जुड़ा हुआ अहम फैसला देते हुए कहा है कि अब वहां के कोर्ट में लंबित मामले भी सुनवाई के लिए दूसरे राज्यों में भेजे जा सकते हैं.

अब तक ऐसा प्रावधान नहीं था. इस मामले में 11 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट आई जिन पर 5 जजों मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला, न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति आर भानुमति की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया.

इनमें से 9 याचिकाएं दीवानी मुकदमें से संबंधित थी और 2 आपराधिक मुकदमें की सुनवाई दूसरे राज्य में स्थानांतरित कराना चाहती थीं

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला-

  • संविधान के अनुच्छेद 32, 136 और 142 में प्राप्त शक्तियों के तहत सुप्रीमकोर्ट को ऐसा आदेश देने का अधिकार है
  • जम्मू कश्मीर के केस भी देश के दूसरे हिस्सों में ट्रांसफर हो सकते हैं.
  • कोर्ट ने कहा कि न्याय पाना अनुच्छेद 21 के तहत दिये गये जीवन के अधिकार का एक पहलू है.
  • कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 32 के अलावा सुप्रीमकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 में मिले विशेषाधिकार के तहत भी सुनवाई जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने का आदेश दे सकता है.
  • संविधान का आर्टिकल 14 के अनुसार सबको न्याय पाने का अधिकार है.
  • अगर कोई किसी दूसरे राज्य में जाकर यात्रा करने में असमर्थ है तो वो एक तरह से न्याय पाने से वंचित है.
  • ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को आर्टिकल 136 के तहत अधिकार है कि वो सभी को न्याय दिलाए.
  • सीआरपीसी (CRPC) 25 के अनुसार देश के किसी राज्य से कोई केस दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो सकता है.
  • लेकिन जम्मू-कश्मीर में रनबीर पैनल कोड आरपीएस (RPS) में ये प्रावधान नहीं है. इसलिए केस ट्रांसफर नहीं हो सकते थे.
  • जम्मू कश्मीर के केस देश में कहीं भी ट्रांसफर करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को होगा.

बचाव में तर्क -

  • मुकदमें के स्थानांतरण का विरोध करने वालों की दलील थी कि सुप्रीमकोर्ट सीपीसी की धारा 25 और सीआरपीसी की धारा 406 के तहत दीवानी और फौजदारी के मुकदमों की सुनवाई एक राज्य से दूसरे राज्य की अदालत में स्थानांतरित करता है लेकिन ये दोनों कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते। इसके अलावा जम्मू कश्मीर सीपीसी 1977 और जम्मू कश्मीर सीआरपीसी 1989 में भी सुप्रीमकोर्ट को राज्य से बाहर मुकदमा स्थानांतरित करने के कोई प्रावधान नहीं दिये गये हैं। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट राज्य के बाहर मुकदमें का स्थानांतरण नहीं कर सकता.
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