सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर 2016 को सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) मामले की सुनवाई के दौरान यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पी सी घोष एवं अमित राय की बेंच द्वारा सुनाए गये इस फैसले में पंजाब सरकार को नोटिस भेजा गया. हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना लिंक नहर मामले में पुन: रिसीवर नियुक्त किया. उस भूमि पर नियुक्त किये गये तीन रीसिवरों से रिपोर्ट भी मांगी गयी. इस संबंध में केन्द्रीय गृह सचिव, पंजाब सरकार के मुख्य सचिव और पंजाब पुलिस के महानिदेशक को रिसीवर नियुक्त किया गया.
पृष्ठभूमि
नवम्बर 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू. ललित ने स्वयं को बिना कारण इस मामले से अलग कर लिया था. इसके उपरांत हरियाणा सरकार ने यह मामला जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष उठाया.
हरियाणा सरकार की मांग है कि नहर के लिए पंजाब में अधिग्रहित भूमि की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार द्वारा गृह मंत्रालय, पंजाब के मुख्य सचिव एवं डीजीपी के पास रहनी चाहिए. हरियाणा ने यह भी मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के 15 जनवरी 2002 तथा 4 जून 2004 के आदेश के अनुसार ही नहर का निर्माण किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा के 1966 में बंटवारे के बाद से ही दोनों प्रदेशों के बीच इस नहर को लेकर विवाद रहा है.
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