Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून (Sedition Law) के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुनर्विचार तक राजद्रोह कानून यानी 124ए के अंतर्गत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए. इसके अतिरिक्त पुराने मामलों में भी लोग अदालत में जाकर राहत की अपील कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राजद्रोह कानून के अंतर्गत कार्रवाई पर रोक लगाने वाला यह आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इस कानून की समीक्षा पूरी नहीं कर लेती. कोर्ट ने इस कानून के अंतर्गत जेल में बंद सभी आरोपियों को जमानत के लिए कोर्ट के पास जाने की छूट भी दी है.
SC keeps in abeyance sedition law till review; asks Centre, States not to register cases
— ANI Digital (@ani_digital) May 11, 2022
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कोर्ट ने क्या कहा?
ये सभी महत्वपूर्ण निर्देश सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने दिए हैं. कोर्ट ने राजद्रोह से जुड़े प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने हेतु जुलाई के तीसरे हफ्ते तक का समय दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान केंद्र सरकार इस कानून की समीक्षा पूरी कर सकती है.
साल 2021 में मेजर जनरल (रिटायर्ड) एसजी वोम्बटकेरे ने राजद्रोह से जुड़े आईपीसी के सेक्शन 124ए को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी. कोर्ट ने इस पर सुनवाई के दौरान अंग्रेजो के राज से चले आ रहे इस औपनिवेशिक कानून के बारे में कई तीखी टिप्पणियां की थीं.
बता दें सरकार ने कोर्ट में पहले तो इस कानून का बचाव किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए 09 मई को कानून की समीक्षा की बात मान ली. सरकार ने 09 मई को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वो इस कानून की समीक्षा करने को तैयार है, लिहाजा इसकी वैधता पर कोर्ट विचार न करे.
जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा?
गौरतलब है कि 11 मई 2022 को सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में केंद्र सरकार की तरफ से पक्ष रखा. तुषार मेहता ने कहा कि गंभीर अपराधों को दर्ज होने से नहीं रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रभाव को रोकना सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है इसलिए, जांच के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी होना चाहिए तथा उसकी संतुष्टि न्यायिक समीक्षा के अधीन है. उन्होंने आगे कहा कि राजद्रोह के मामले दर्ज करने के लिए एसपी रैंक के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जा सकता है.
क्या है राजद्रोह कानून?
आईपीसी की धारा 124ए के अंतर्गत यदि कोई शख्स सार्वजनिक तौर पर लिखित या मौखिक रूप से या हस्ताक्षर या अन्य किसी जाहिर तरीके से विधि द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ नफरत, शत्रुता या फिर अवमानना की स्थिति पैदा करता है तो उसे राजद्रोह का दोषी माना जाएगा. इसके लिए उसे आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है तथा जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
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