सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी 2018 को एक सुनवाई के दौरान कहा कि किसी व्यक्ति की जाति अपरिवर्तनीय है और शादी के बाद भी इसे बदला नहीं जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
• सुप्रीम कोर्ट ने यह बात एक महिला की नियुक्ति को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान कही, जिसने अनुसूचित जाति (एससी) के व्यक्ति से शादी कर 21 साल पहले केंद्रीय विद्यालय में आरक्षण का लाभ उठाकर शिक्षिका की नौकरी प्राप्त की थी.
• जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतनागौदार की बेंच ने कहा कि दो दशक स्कूल में काम करने के बाद महिला अब वाइस-प्रिंसिपल के तौर पर काम कर रही है.
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा की महिला आरक्षण का फायदा नहीं उठा सकती है, भले ही उसने एक एससी व्यक्ति से शादी क्यों न की हो क्योंकि महिला का जन्म एक उच्च जाति में हुआ है. शादी के बाद उसकी जाति में परिवर्तन नहीं आ सकता और उसकी जाति वही रहेगी जो उसके जन्म पर थी.
पृष्ठभूमि:
महिला ने वर्ष 1991 में बुलंदशहर के जिला मजिस्ट्रेट से एससी जाति का सर्टिफिकेट जारी करवाया था. महिला को इस सर्किफिकेट और एकेडमिक क्वालिफिकेशन के आधार पर वर्ष 1993 में केंद्रीय विद्यालय में पीजी टीचर के तौर पर नियुक्त किया गया था.
महिला की नियुक्ति पंजाब के पठानकोट में हुई थी. महिला ने अपनी नौकरी के साथ-साथ अपनी एम. ऐड. पूरी की. महिला के खिलाफ नियुक्ति के दो दशक बीत जाने के बाद शिकायत कर उसकी नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई.
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