सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2018 को अंतरजातीय विवाह करने वाले वयस्क पुरुष और महिला के खिलाफ खाप पंचायतों या संघों के हर कदम को 'पूरी तरह से अवैध' करार दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई वयस्क पुरुष और महिला विवाह करते हैं, तो कोई खाप, पंचायत या समाज उन पर सवाल नहीं उठा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार से कहा कि खाप पंचायतों के इस रवैये पर अगर सरकार कोई करवाई नहीं लेगी तो फिर कोर्ट को ही कोई आदेश देना होगा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि कोई भी वयस्क पुरुष और महिला अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों से भी जवाब मांगा था ताकि परिवार की इज़्ज़त की ख़ातिर ऐसे दंपति की हत्या और महिला को परेशान करने से रोकने के बारे में कोई आदेश देने से पहले उनके विचार जाने जा सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले पुरुष और महिला की हत्या और उत्पीड़न को रोकने के लिए न्यायमित्र राजू रामचंद्रन द्वारा दिए गए सुझावों पर केंद्र से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट शक्तिवाहिनी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ऑनर किंलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग की गई है. इस मामले में अगली सुनवाई 05 फरवरी 2018 को होगी.
पृष्ठभूमि:
केंद्र सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से ही खाप पंचायतों द्वारा महिलाओं के खिलाफ किए जाने वाले अपराधों की निगरानी के लिए कोई व्यवस्था बनाने की अपील कर चुकी है. केंद्र ने यह भी कहा था कि पुलिस ऐसे मामलों में महिलाओं को सुरक्षा दे पाने में सक्षम नहीं है. खाप पंचायत गांवों में जाति या समुदाय आधारित संगठन होते हैं. ये अर्द्ध न्यायिक संस्था की तरह काम करते हैं और परंपराओं के आधार पर फैसले सुनाते हैं. इस संगठन ने ही वर्ष 2010 में याचिका दायर करके परिवार की इज़्ज़त की ख़ातिर होने वाले ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को क़दम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. भारत में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में इनका प्रभाव नज़र आता है. माना जाता है यहां होने वाले ऑनर किलिंग (सम्मान के नाम पर हत्या) के लिए ये पंचायतें अधिकांशत: ज़िम्मेदार होती हैं.
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