सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन से संबंधित केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा

Apr 2, 2019, 15:25 IST

केरल हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में ईपीएफओ को कहा था कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी के आधार पर पेंशन मिलनी चाहिए. ईपीएफओ ने केरल हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

Supreme Court upholds HC Judgment for higher pension
Supreme Court upholds HC Judgment for higher pension

सुप्रीम कोर्ट ने 01 अप्रैल 2019 को कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) की याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था. इस फैसले के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी ज्‍यादा पेंशन मिलेगी.

केरल हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में ईपीएफओ को कहा था कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी के आधार पर पेंशन मिलनी चाहिए. ईपीएफओ ने केरल हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला:

•   सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन को पूरी सैलरी के आधार पर देने का आदेश दिया है, जिससे रिटायर कर्मचारियों को अब कई गुना बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी.

•   सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ की वह याचिका भी खारिज कर दी है, जिसमें कर्मचारियों की पेंशन की गणना नौकरी के अंतिम पांच सालों की औसत सैलरी के आधार पर करने की मांग की गई थी.

•   सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कर्मचारियों के रिटायरमेंट के अंतिम साल की सैलरी के आधार पर ही पेंशन देने का फैसला दिया है.

•   मौजूदा समय में ईपीएफओ पेंशन की गणना प्रतिमाह 1250 रुपये (15000 का 8.33 फीसदी) के हिसाब से करता है.

कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ)

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत की एक राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी पेंशन और बीमा योजना प्रदान करने वाला शासकीय संगठन है. सदस्यों और वित्तीय लेनदेन की मात्रा के मामले में यह विश्व की सबसे बड़ा सगठन है.

इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में है. ईपीएस की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी. तब नियोक्ता कर्मचारी की सैलरी का अधिकतम सालाना 6,500 (541 रुपये महीना) का 8.33 प्रतिशत ही ईपीएस के लिए जमा कर सकता था.

इस नियम में मार्च 1996 में बदलाव किया गया कि अगर कर्मचारी फुल सैलरी के हिसाब से योजना में योगदान देना चाहे और नियोक्ता भी राजी हो तो उसे पेंशन भी उसी हिसाब से मिलनी चाहिए. कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 फीसदी उसके नाम से नियोक्ता जमा करता है.

कंपनी की 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदा हिस्सा पेंशन फंड में जाता और बाकी 3.66 पीएफ में जाता है. संगठन के प्रबंधकों में केंद्रीय न्यासी मण्डल, भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि, नियोक्ता और कर्मचारी शामिल होतें हैं. इसके अध्यक्षता भारत के केंद्रीय श्रम मंत्री करतें हैं.

पृष्ठभूमि:

ईपीएफओ द्वारा वर्ष 2014 में किए गए संशोधन के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन की गणना 6400 के स्‍थान पर 15000 के आधार पर करने को मंजूरी दी गई थी. हालांकि इसमें यह भी कहा गया था कि पेंशन की गणना कर्मचारी की पिछले पांच साल की औसत सैलरी के आधार पर होगी.

इससे पहले यह गणना रिटायरमेंट से पहले के एक साल के आधार पर की जाती थी. यह मामला केरल हाईकोर्ट में पहुंचा. केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में संशोधन कर पेंशन की गणना का आधार रिटायरमेंट से पहले के एक साल को बना दिया तथा पांच साल वाली बाध्‍यता को समाप्‍त कर दिया गया. केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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