संगीत जगत की अनमोल धरोहर, तबला सम्राट उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain Death) का देर रात सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया है. उनके परिवार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी है. 73 वर्षीय ज़ाकिर हुसैन पिछले कुछ समय से इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक गंभीर फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे. दो हफ्तों से अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उनकी हालत बिगड़ती गई और उन्हें ICU में रखा गया था.
9 मार्च 1951 को बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्मे ज़ाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई. वे मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बड़े बेटे थे और बचपन से ही संगीत की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने लगे थे. 1973 में गिटार वादक जॉन मैकलॉफलिन के साथ उनकी ऐतिहासिक साझेदारी ने भारतीय और पश्चिमी संगीत के संगम को नई ऊंचाई दी.
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अवार्ड और सम्मान की लंबी सूची:
छह दशक लंबे अपने शानदार करियर में ज़ाकिर हुसैन को संगीत के क्षेत्र में कई पुरस्कार और सम्मान मिले. इनमें पाँच ग्रैमी अवॉर्ड्स और भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रमुख हैं.
पद्म श्री (1988)
पद्म भूषण (2002)
पद्म विभूषण (2023)
ज़ाकिर हुसैन की प्रतिष्ठित संगीत साझेदारियां:
ज़ाकिर हुसैन, एक प्रसिद्ध तबला वादक, विभिन्न शैलियों और संस्कृतियों में अपने उल्लेखनीय सहयोग के लिए जाने जाते थे. यहां उनकी कुछ सबसे प्रतिष्ठित संगीत साझेदारियां हैं:
प्रमुख सहयोग | विवरण | महत्त्व |
‘शक्ति’ | 1975 में गिटार वादक जॉन मैकलॉफलिन के साथ शुरू किया गया समूह, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और जज़ (jazz) का मेल है. | ईस्ट-वेस्ट फ्यूजन का अग्रदूत, जटिल ताल और नवाचार के लिए प्रसिद्ध. |
‘प्लैनेट ड्रम’ | मिकी हार्ट (ग्रेटफुल डेड) के नेतृत्व में बना तालवाद्य समूह, जिसमें ज़ाकिर हुसैन और अन्य प्रमुख तालवाद्य कलाकार शामिल थे. | पहले बेस्ट वर्ल्ड म्यूजिक एल्बम के लिए ग्रैमी जीतने वाला एलबम, जिसने ताल की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर किया. |
‘संगम’ | सैक्सोफोनिस्ट चार्ल्स लॉयड और ड्रमर एरिक हारलैंड के साथ 2004 में जारी सहयोग. | जज़ और भारतीय शास्त्रीय संगीत का सहज संगम, जिसमें नवाचार और सांस्कृतिक संवाद पर जोर दिया गया. |
‘क्रॉसकरंट्स’ | जज़ बेसिस्ट डेव हॉलैंड के साथ एक प्रोजेक्ट, जो जज़ (jazz) और भारतीय शास्त्रीय संगीत के बीच सामंजस्य को उजागर करता है. | दो समृद्ध संगीत परंपराओं के बीच पुल बनाने में एक और कदम. |
‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ | 2007 में जारी एलबम, जिसमें दुनिया भर के तालवाद्य कलाकार शामिल थे. | विविध ताल परंपराओं की खोज के प्रति हुसैन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. |
सांस्कृतिक सेतु के रूप में याद किए जाएंगे:
ज़ाकिर हुसैन को उनकी तकनीकी कुशलता के साथ-साथ विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने की क्षमता के लिए भी जाना जाएगा. उनकी संगीत रचनाओं ने भारतीय संगीत को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाया. उनके निधन पर संगीत प्रेमियों, गणमान्य व्यक्तियों और प्रशंसकों ने गहरा शोक व्यक्त किया है.
ज़ाकिर हुसैन की विदाई भारतीय संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.
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