शिक्षक दिवस (Teachers' Day) भारत में प्रत्येक साल 05 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन छात्र अपने-अपने तरीके से शिक्षकों के प्रति प्यार एवं सम्मान प्रकट करते हैं. छात्र शिक्षकों को उपहार (Gifts) देते हैं. शिक्षकों हेतु स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
भारत में 05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है वहीं, अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस का आयोजन 05 अक्टूबर को होता है. कई देशों में इसके अतिरिक्त अलग-अलग दिन भी शिक्षक दिवस मनाया जाता है. कुछ देशों में इस दिन छुट्टी का दिन रहता है तो कुछ देशों में कोई छुट्टी नहीं रहता है.
Doodle बनाकर विश किया Teachers Day |
गूगल ने भी शिक्षक दिवस के अवसर पर खास तरह का एनिमेशन वाला डूडल बनाया है. गूगल ने अपने डूडल में एनिमेशन के रूप में एक ऑक्टोपस को शिक्षक के रूप में दर्शया है. |
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 05 सितंबर को होती है. उन्हीं की याद में प्रत्येक साल 05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ीं 10 महत्वपूर्ण बातें
• डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 05 सितम्बर 1888 को तिरुट्टनी, तमिलनाडु में हुआ था.
• वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक तथा एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे.
• वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे तथा स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे.
• डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए.
• वे 27 बार नोबेल पुरस्कार हेतु नामित किए गए थे. उन्हें साल 1954 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.
• उनके पिताजी उनके अंग्रेजी पढ़ने या स्कूल जाने के विरुद्ध थे. वे अपने बेटे को पुजारी बनाना चाहते थे.
• उनको ब्रिटिश शासनकाल में 'सर' की उपाधि भी दी गई थी. इसके अतिरिक्त साल 1961 में उन्हें जर्मनी के पुस्तक प्रकाशन द्वारा 'विश्व शांति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था.
• उन्होंने 40 सालों तक शिक्षक के रूप में काम किया. वे साल 1939 से साल 1948 तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे.
• वे 13 मई 1952 को भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने तथा वे 13 मई 1962 को भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने थे.
• डॉ. राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को हो गया था, लेकिन एक आदर्श शिक्षक एवं दार्शनिक के रूप में वेह आज भी सभी के लिए प्रेरणादायक हैं.
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