केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 29 मार्च 2016 को पहली बार भवन निर्माण और तोड़फोड़ से निकले मलबे के प्रबंधन से संबंधित नियम 2016 अधिसूचित किए. इससे प्रदूषण और कचरा प्रबंधन के मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी.
इन नियमों का बुनियादी उद्देश्य् निर्माण और तोड़फोड़ से उत्पन्न मलवे को पुनः प्राप्त करना, पुनःचक्रती करना और उसका पुनः इस्तेमाल करना है.
वर्तमान में निर्माण कार्यो और इमारतों को ढहाने से उतपन्न मलवे के कारण हर साल 530 मिलियन टन कचरा पैदा होता है.
भवन निर्माण एवं मलबे के प्रबंधन से संबंधित नियमों की प्रमुख विशेषताएं निम्न लिखित हैं:
• ये नियम हर उस व्यक्ति पर लागू होंगे, जो भवन निर्माण और इमारत ढहाने के कारण मलबा उत्पन्न करेगा.
• नगर निगम और सरकारी सम्पदाओ के तहत भवन निर्माण और इमारत ढहाने से उतपन्न मलबे में से 10-20 प्रतिशत सामग्री का उपयोग करेंगे.
• एक मिलियन टन से ज्यादा की आबादी वाले शहर इन नियमों की अंतिम अधिसूचना जारी होने की तिथि से लेकर 18 महीनों के भीतर प्रसंस्किरण और निपटान की सुविधा प्रारंभ कर देंगे.
• 0.5 से एक मिलियन की आबादी वाले शहर तथा 0.5 मिलियन से कम आबादी वाले शहर क्रमश: दो और तीन वर्षों में प्रसंस्करण और निपटान की सुविधा उपलब्ध कराएंगे.
• निर्माण और मलबे के प्रबंधन की योजना प्रस्तुत करने पर ही भवन निर्माण की अनुमति प्रदान की जाएगी.
• बड़े पैमाने पर कचरे के जमा होने के लिए जिम्मेदार लोगों के संबंधित प्रशासन द्वारा अधिसूचित किये जाने के अनुरूप-संग्रहण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान के लिए उपयुक्त शुल्क चुकाना होगा.
• बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी लोग (जो एक दिन में 20 टन या उससे ज्यादा अथवा एक महीने में प्रति परियोजना 300 टन मलबा उत्पन्न करता है) के पास भवन निर्माण और इमारत ढहाने से उत्पन्न मलवे के निपटान के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना होनी चाहिए.
• बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति कचरा प्रबंधन योजना प्रस्तुत करेगा और भवन निर्माण अथवा इमारत ढहने का कार्य अथवा नये सिरे से निर्माण शुरू करने से पहले स्थानीय प्रशासन से उचित अनुमति लेना होगा.
• बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी लोग कचरे को चार भागों में बांटेंगे जैसे- कंकरीट, मिट्टी, स्टील, लकड़ी और प्लास्टिक और ईंट.
• इन नियमों की अधिसूचना जारी होने की तारीख से 6 महीने के भीतर सेवा प्रदाता अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में उत्पन्न होने वाले कचरे के लिए समग्र कचरा प्रबंधन योजना तैयार करेंगे.
• केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भवन निर्माण और इमारत ढहने से उपजे मलबे के पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के बारे में परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश तैयार करेगा और राज्य सरकार को वार्षिक रिपोर्ट सौपेंगा.
• खतरनाक औद्योगिक कचरे अथवा जहरीले पदार्थों या परमाणु कचरे से दूषित हो चुके मलबे के सुरक्षित निपटने के लिए संबंधित अधिकारियों से सहायता मांगेंगे.
• प्रसंस्ककरण/पुन:चक्रण स्थिल रिहायशी बस्तियों, वन क्षेत्रों, जल निकायों, स्मारकों, राष्ट्रीय उद्यानों, दलदली भूमि और सांस्कृतिक, ऐतिहासिक अथवा धार्मिक हितों से संबंधित स्थानों से दूर रहेंगे.
• प्रति दिन पांच टन से अधिक प्रसंस्करण/पुन:चक्रण करने वाली सुविधा के आस-पास किसी भी प्रकार का विकास न होने संबंधी बफर जोन बरकरार रखा जाएगा.
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