टॉप कैबिनेट मंजूरी: 29 दिसंबर
मंत्रिमंडल ने भारत और साओ टोम एवं प्रिंसिप के बीच हुए समझौते से अवगत कराया
• केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उसके इस्तेमाल में सहयोग पर आधारित भारत और साओ टोम व प्रिंसिप के बीच हुए समझौते के बारे में बताया. इस समझौते पर 07 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किये गये थे.
• इस समझौते से पृथ्वी के दूर-संवेदी क्षेत्र, उपग्रह संचार, उपग्रह खोज, अंतरिक्ष विज्ञान और बाह्य अंतरिक्ष की खोज के बारे के में नई अनुसंधान गतिविधियों और उनके प्रयोग की संभावना का पता लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
• इस समझौते से लोगों के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के क्षेत्र में अऩेक गतिविधियों को संयुक्त रूप से आयोजित करने और विकसित करने के कार्य को बढ़ावा मिलेगा. इस प्रकार दोनों देशों के सभी हिस्सों और क्षेत्रों को लाभ होगा.
• इस समझौते से पृथ्वी के दूर-संवेदी क्षेत्र, उपग्रह संचार, उपग्रह खोज, अंतरिक्ष विज्ञान और बाह्य अंतरिक्ष की खोज के बारे के में नई अनुसंधान गतिविधियों और उनके प्रयोग की संभावना का पता लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. इस समझौते से लोगों के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के क्षेत्र में अऩेक गतिविधियों को संयुक्त रूप से आयोजित करने और विकसित करने के कार्य को बढ़ावा मिलेगा.
कैबिनेट ने तटीय नियमन जोन (सीआरजेड) अधिसूचना, 2018 को मंजूरी दी
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तटीय नियमन जोन (सीआरजेड) अधिसूचना, 2018 को मंजूरी दे दी है जिसकी पिछली समीक्षा वर्ष 2011 में की गई थी और फिर उसी वर्ष इसे जारी भी किया गया था. समय-समय पर इसके कुछ अनुच्छेदों में संशोधन भी किए जाते रहे हैं.
• सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के प्रावधानों, विशेषकर समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी के प्रबंधन एवं संरक्षण, तटीय क्षेत्रों के विकास, पारिस्थितिकी पर्यटन, तटीय समुदायों की आजीविका से जुड़े विकल्प एवं सतत विकास इत्यादि से संबंधित प्रावधानों की व्यापक समीक्षा के लिए विभिन्न तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ अन्य हितधारकों की ओर से भी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्राप्त हुए अनेक ज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए ही यह कदम उठाया गया है.
• प्रस्तावित सीआरजेड अधिसूचना, 2018 से तटीय क्षेत्रों में गतिविधियां काफी बढ़ जाएंगी जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास की रफ्तार भी तेज हो जाएगी. इसके साथ ही तटीय क्षेत्रों के संरक्षण संबंधी सिद्धांतों को भी ध्यान में रखा जाएगा. इससे न केवल बड़ी संख्या में रोजगारों का सृजन होगा, बल्कि बेहतर जीवन के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन भी सुनिश्चित होगा.
• सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के अनुसार सीआरजेड-II (शहरी) क्षेत्रों के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) अथवा फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) को वर्ष 1991 के विकास नियंत्रण नियमन (डीसीआर) के स्तरों के अनुसार यथावत रखा गया था.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और क्यूबा तथा भारत और कोरिया के बीच हुए दो द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों (एमओयू) से अवगत कराया
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और क्यूबा तथा भारत और कोरिया के बीच हुए दो द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों (एमओयू) से अवगत कराया. इन समझौता ज्ञापनों पर क्रमश: 12 जून 2018 को हवाना, क्यूबा में तथा 9 जुलाई 2018 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर हुए थे.
• क्यूबा और कोरिया के साथ हस्ताक्षर किए गए ये समझौता ज्ञापन क्रमश: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग और उद्देश्यों के सहमत क्षेत्र में हैं, जहां देश में इन क्षेत्रों के विशेषज्ञ मौजूद हैं. इस प्रस्ताव में जीवविज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में पांच वर्ष की अवधि के लिए 50 से अधिक स्नातकोत्तरों और पीएचडी धारकों के लिए रोजगार सृजन की संभावना है.
• इन समझौता ज्ञापनों पर जैव प्रौद्यागिकी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में ठोस रणनीतिक योजना को शामिल करके एस एंड टी राजनैतिक कौशल में नवाचार के लिए सहयोग हेतु भविष्य की कार्यसूची को तैयार करने के लिए भारत और क्यूबा और भारत तथा कोरिया में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए हस्ताक्षर किए गए हैं.
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) विधेयक, 2018 की स्थापना की मंजूरी दी
• यह विधेयक वर्तमान की नियामक संस्था, केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद (सीसीएच) के स्थान पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक नई संस्था का गठन करेगा. विधेयक के मसौदे में राष्ट्रीय आयोग के गठन का उल्लेख है. आयोग के अंतर्गत तीन स्वायत्त परिषदें होंगी. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने एलोपैथी औषधि प्रणाली की स्थापना का प्रस्ताव दिया है.
• होम्योपैथी शिक्षा परिषद द्वारा दी जाने वाली होम्योपैथी शिक्षा के संचालन की जिम्मेदारी स्वायत्त परिषदों पर होंगी. मूल्यांकन और योग्यता निर्धारण परिषद, होम्योपैथी के शैक्षिक संस्थाओं का मूल्यांकन करेगा और मंजूरी प्रदान करेगा. नीति और पंजीयन परिषद होम्योपैथी के चिकित्सकों का पंजीयन करेगा और एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाएगा. इसके अतिरिक्त इलाज से संबंधित नीतिगत मामले राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अधिकार क्षेत्र में आएंगे.
• मसौदे में एक प्रवेश परीक्षा तथा एक्जिट परीक्षा का प्रस्ताव दिया गया है. अभ्यास के इच्छुक सभी स्नातकों को इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना होगा. इसके अतिरिक्त शिक्षकों की योग्यता परीक्षा का भी प्रस्ताव है. इस परीक्षा से शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के पूर्व उनकी योग्यता का मूल्यांकन किया जाएगा.
कैबिनेट ने भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएम) विधेयक, 2018 को मंजूरी दी
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएम) विधेयक, 2018 के मसौदे को मंजूरी दी जिसका उद्देश्य मौजूदा नियामक भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) के स्थान पर एक नया निकाय गठित करना है, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.
• विधेयक के मसौदे में चार स्वायत्त बोर्डों के साथ एक राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है. इसके तहत आयुर्वेद से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्मेदारी आयुर्वेद बोर्ड और यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्पा से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्मेदारी यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्पा बोर्ड के पास होगी.
• इसके अलावा दो सामान्य या आम बोर्डों में आकलन एवं रेटिंग बोर्ड और आचार नीति एवं भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के चिकित्सकों का पंजीकरण बोर्ड शामिल हैं. आकलन एवं रेटिंग बोर्ड भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के शैक्षणिक संस्थानों का आकलन करने के साथ-साथ उन्हें मंजूरी देगा. भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के चिकित्सकों का पंजीकरण बोर्ड भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अधीन प्रैक्टिस से जुड़े आचार नीति मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय रजिस्टर के रख-रखाव की जिम्मेदारी संभालेगा.
• विधेयक के मसौदे का उद्देश्य एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की तर्ज पर भारतीय चिकित्सा क्षेत्र की चिकित्सा शिक्षा में व्यापक सुधार लाना है. प्रस्तावित नियामक ढांचे या व्यवस्था से पारदर्शिता के साथ-साथ आम जनता के हितों के संरक्षण के लिए जवाबदेही सुनिश्चित होगी. एनसीआईएम देश के सभी हिस्सों में किफायती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देगा.
मंत्रिमंडल ने शेयर बाजार में कुछ सूची से अलग केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों को सूची में शामिल करने की मंजूरी दी
• आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने आईपीओ/एफपीओ के माध्यम से शेयर बाजार में निम्नलिखित सात केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों को सूचीबद्ध करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है, जिसमें टेलीकम्युनिकेशन कंसलटेंट्स (इंडिया) लिमिटेड (टीसीआईएल)- आईपीओ, रेलटेल कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड – आईपीओ, नेशनल सीड कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनएससी) – आईपीओ, टिहरी हाइड्रो डवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (टीएसडीसी) – आईपीओ, वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेस (इंडिया) – लिमिटेड (वापकोस लिमिटेड) – आईपीओ, एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनिरल्स (इंडिया) लिमिटेड(एफएजेएमआईएल) आईपीओ, कुद्रेमुख आयरन ओर कम्पनी लिमिटेड (केआईओसीएल) – एफपीओ शामिल हैं.
• शेयर बाजार की सूची में इऩ केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों के शामिल होने से उनका मूल्य बढ़ेगा और इऩमें निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, सूचीबद्ध केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों (भविष्य में सूचीबद्ध किये जाने वाले केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों सहित) की सीमा, निवेश के तरीके, मूल्य निर्धारण, समय आदि के बारे में निर्णय लेने के लिए वित्त मंत्री, सड़क परिवहन एवं नौवहन मंत्री और संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय के मंत्री को शामिल करते हुए एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में अधिकृत किया गया है.
• केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों को सूची में शामिल करने के लिए पात्रता शर्तों का दायरा बढ़ाया गया है. सकारात्मक सकल संपदा और पिछले किसी तीन वित्त वर्षों में सकल मुनाफा अर्जित करने वाला केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यम शेयर बाजार की सूची में शामिल होने के लिए पात्र होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2019 सीजन के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2000 रूपये प्रति क्विंटल से अधिक की बढ़ोतरी को मंजूरी दी
• आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने वर्ष 2019 सीजन के लिए ‘मिलिंग खोपरा’ की अच्छी औसत क्वालिटी (एफएक्यू) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढा़कर 9521 रूपये प्रति क्विंटल करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. वर्ष 2018 में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 7511 रूपये प्रति क्विंटल था. 2019 सीजन के लिए ‘बाल खोपरा’ का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढा़कर 9920 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. 2018 में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 7750 रूपये प्रति क्विंटल था.
• खोपरा के इस न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को उचित न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित होने की उम्मीद है. इससे नारियल उत्पादन में निवेश बढ़ेगा और देश में उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा.
• एमएसपी में बढ़ोतरी की यह मंजूरी कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है. सीएसीपी एक विशेषज्ञ संकाय है, जो उत्पादन लागत, खाद्य तेलों के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों के रूख, खोपरा और नारियल तेल की कुल मांग और आपूर्ति खोपरा की नारियल तेल में प्रोसेसिंग करने की लागत और उपभोक्ताओं पर सिफारिश किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रभाव को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करते हुए ध्यान में रखती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation