टॉप हिन्दी करेंट अफ़ेयर्स: 27 सितंबर 2018

Sep 27, 2018, 17:56 IST

टॉप हिन्दी करेंट अफ़ेयर्स, 26 सितंबर 2018 के अंतर्गत आज के शीर्ष करेंट अफ़ेयर्स को शामिल किया गया है जिसमें मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अस्त्र मिसाइल का परीक्षण शामिल हैं.

Top Current Affairs in hindi
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टॉप हिन्दी करेंट अफ़ेयर्स, 26 सितंबर 2018 के अंतर्गत आज के शीर्ष करेंट अफ़ेयर्स को शामिल किया गया है जिसमें मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अस्त्र मिसाइल का परीक्षण शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ‘चैंपियंस ऑफ़ अर्थ अवार्ड’ से सम्मानित


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को 26 सितंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान, 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ' पुरस्कार से सम्मानित किया गया. भारत के साथ-साथ फ़्रांस को भी इस पुरस्कार के लिए इसलिए सम्मानित किया गया है क्योंकि दोनों ही देशों ने समान प्रयासों के साथ अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की है.

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को लेकर अग्रणी एवं उत्साही कार्यों के लिए और पर्यावरणीय कार्यों में सहयोग के नये क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मोदी और इमैनुएल मैक्रों को 'नीति नेतृत्व' श्रेणी के तहत यह पुरस्कार प्रदान किया गया. प्रधानमंत्री को 2022 तक भारत में प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने का संकल्प लेने और मैक्रों को पर्यावरण के लिए वैश्विक समझौते को लेकर सराहना की गयी.


भारतीय वायु सेना द्वारा स्वदेशी अस्त्र मिसाइल का सुखोई से सफल परीक्षण


वायु सेना ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 26 सितंबर 2018 को देश में ही बनी हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल का सुखोई-30 लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल दृष्टि सीमा से आगे तक मार करने में सक्षम है. अस्त्र को सेना में शामिल किये जाने से पहले के अंतिम चरण के परीक्षणों का हिस्सा होने के कारण इस परीक्षण की सफलता को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अस्त्र मिसाइल को देश में ही निर्मित और विकसित किया गया है.

वायु सेना ने मिसाइल का अपने कलाईकुंडा स्टेशन से परीक्षण किया और मिसाइल ने हवा में तैर रहे लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा. यह मिसाइल अपनी श्रेणी की हथियार प्रणालियों में श्रेष्ठ है और इसके 20 से भी अधिक परीक्षण किये जा चुके हैं. मिसाइल ने उच्च मारक क्षमता के साथ सफलतापूर्वक निशाना लगाया जो मिशन के लक्ष्य को पूरा करता है.


केंद्र सरकार ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को भंग कर दिया. इसके लिए अध्यादेश लाया गया, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 सितंबर 2018 को मंजूरी दे दी. नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के संसद से पास होने तक सात सदस्यीय कमेटी एमसीआई का कामकाज देखेगी. डॉ. वी.के. पॉल को इसका चेयरमैन बनाया गया है.

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में सात लोग शामिल हैं जो कि अपने कार्यक्षेत्र में प्रसिद्ध हैं. डॉक्टर वी के पॉल जो कि नीति आयोग के मेंबर हैं और काउंसिल के चेयरमैन के रूप में कार्य संभालेंगे. बोर्ड ऑफ गवनर्स के दूसरे सदस्य डॉक्टर रणदीप गुलेरिया हैं जो कि एम्स के महानिदेशक पद पर तैनात है. तीसरे सदस्य का नाम डॉक्टर जगत राम है जो पीजीआई चंडीगढ़ में डायरेक्टर हैं. चौथे सदस्य डॉक्टर बी एन गंगाधर हैं जबकि पांचवे सदस्य डॉक्टर निखिल टंडन हैं. डॉक्टर गंगाधर निमहंस बैंगलोर के डायरेक्टर हैं जबकि डॉक्टर निखिल टंडन एम्स में इंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म के विख्यात प्रोफेसर हैं.


व्यभिचार कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: विवाहेतर संबंध अपराध नहीं

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने 27 सितंबर 2018 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एकमत से व्यभिचार कानून पर फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली इस बेंच ने कहा कि किसी भी तरह से महिला के साथ असम्मानित व्यवहार नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्त्री और पुरुष के बीच विवाहेतर संबंध से जुड़ी IPC की धारा 497 को गैर-संवैधानिक करार दे दिया है. जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना और जस्टिस एम खानविलकर का फैसला सुनाया. जिसके बाद अन्य तीन जजों जस्टिस नरीमन, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने भी इस फैसले पर सहमति जताई.


अयोध्या विवाद पर 29 अक्टूबर से होगी सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई करते हुए 27 सितंबर 2018 को अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज पढ़ने को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा मानने से जुड़े मामले को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार कर दिया है. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मसला अयोध्या मामले से बिल्कुल अलग है. इस फैसले के आने के बाद अब बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई शुरू हो सकेगी.

जस्टिस अशोक भूषण और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस मामले को संविधान पीठ में भेजने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्ष 1994 के एक फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है.कोर्ट के अनुसार मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग नहीं है. इस फैसले का असर होगा कि राम जन्मभूमि विवाद पर अब सुनवाई शुरू हो जाएगी. जो पिछले सात साल से रूकी हुई है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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