मानव इतिहास में साल 2020 कोरोना महामारी के लिए याद रखा जाएगा. लेकिन इस साल बहुत सारी वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार हुए जिस वजह से विज्ञान की दुनिया के लिए साल 2020 बहुत ही महत्वपूर्ण बन गया है. यह साल अंतरिक्ष अनुसंधान, कोरोना वैक्सीन की खोज जैसी उपलब्धियों के लिए खास तौर पर जाना जाएगा. भारत ने भी विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों से खूब नाम कमाया.
1.वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा मेमोरी डिवाइस
वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा मेमोरी डिवाइस बना लिया है. इस विकास से कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ब्रेन-इंस्पायर्ड कंप्यूटिंग के लिए तेज, छोटे और अधिक ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक चिप्स का निर्माण हो सकता है. वैज्ञानिकों ने उस पदार्थ विज्ञान को भी खोज लिया है जो इन छोटे उपकरणों के लिए गहन मेमोरी स्टोरेज क्षमताओं को अनलॉक करता है.
वैज्ञानिकों ने यह कहा है कि, छोटे प्रोसेसर अधिक कॉम्पैक्ट कंप्यूटर और फोन बनाने में निर्माताओं को सक्षम बनाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि, इन चिप्स के आकार को कम करने से इनकी ऊर्जा-मांग घट जाती है और कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है. इसका मतलब है कि, तेज़ और स्मार्ट डिवाइसेस संचालन के लिए कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं.
2.सौरमंडल के बाहर से पहली बार मिले रेडियो संकेत, जानें विस्तार से
वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय टीम ने संभवत: पहली बार हमारे सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लगाया है. यह संकेत 51 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रह प्रणाली से आ रहे हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि नीदरलैंड स्थित रेडियो दूरबीन ने लो फ़्रीक्वेंसी एरे (LOFAR) का इस्तेमाल कर टाउ बूट्स तारे की प्रणाली से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लागया है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर इस ग्रह की पुष्टि बाद के अध्ययन से होती है तो रेडियो संकेतों के जरिये सौर मंडल के बाहर के ग्रहों का पता लगाने का एक नया मार्ग खुलेगा और सैकड़ों प्रकाशवर्ष दूर की दुनिया के बारे में जानने का नया तरीका मिलेगा. उल्लेखनीय है कि पृथ्वी का चुंबीय क्षेत्र सौर तूफानों के खतरों से बचाता है.
3.बीएसएनएल ने लॉन्च की सैटेलाइट आधारित सर्विस, समुद्र में भी अब मिलेगा नेटवर्क
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने हाल ही में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet Of Things) उपकरण सेवा शुरू की है. इसकी वजह से देश की समुद्री सीमा के अंदर किसी भी स्थान से फोन लगाया जा सकेगा, जहां मोबाइल टावर भी नहीं है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन के अनुसरण में शुरू किया गया है.
बीएसएनएल की तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि ये दुनिया का पहला उपग्रह आधारित आईओटी नेटवर्क है. इस सेवा को अमेरिका की स्काइलो के साथ साझेदारी में शुरू किया गया है. स्काइलो ने भारत में इस्तेमाल के लिए इन उपकरणों को तैयार किया है.
4.चीन ने किया दुनिया का पहला 6G प्रायोगिक उपग्रह लॉन्च
चीन ने 6 नवंबर, 2020 को दुनिया का पहला 6G प्रायोगिक उपग्रह सफलतापूर्वक लॉन्च किया है. इस उपग्रह को 12 अन्य उपग्रहों के साथ एक ही रॉकेट में ऑर्बिट में लॉन्च किया गया. चीन ने जब से अपने अगली पीढ़ी के मोबाइल इंटरनेट कनेक्शन का विकास करना शुरू किया, ठीक उसके एक वर्ष बाद यह विकास हुआ.
यह 6G जमीन संचार के नेटवर्क के साथ उपग्रह संचार नेटवर्क को संयोजित करेगा. मौजूदा 5G की तुलना में यह 6G 100 गुना तेज होने की उम्मीद जताई जा रहा है और इसकी आवृत्ति का विस्तार बैंड 5G के मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम से टेराहर्ट्ज़ स्पेक्ट्रम तक किया जाएगा.
5.नासा ने चंद्रमा की सतह पर खोजा पानी, इंसानी बस्तियों को बसाने में मिलेगी सहायता
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की है. बड़ी बात यह है कि चंद्रमा की सतह पर यह पानी सूरज की किरणें पड़ने वाले इलाके में खोजी गई है. इससे चांद पर जीवन की उम्मीदें और मजबूत हो गई हैं. नासा ने इस दिशा में लंबे समय से खोज कर रही चंद्रमा की सतह पर पानी होने की पुष्टि होने का घोषणा किया.
नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स विभाग के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा कि पहले ऐसे संकेत थे कि चंद्रमा के सतह पर सूर्य की ओर H2O हो सकता है. अब इसे वहां खोज लिया गया है. इस खोज चांद के बारे में अध्ययन और आगे बढ़ेगा. इस खोज से भविष्य में स्पेस मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी.
6.UAE ने रचा इतिहास, पहला मंगल मिशन HOPE हुआ लॉन्च
सऊदी अरब अमीरात (यूएई) ने हाल ही में जापान के सहयोग से मंगल ग्रह पर अपना अपना पहला इंटरप्लेनेटरी होप प्रोब मिशन शुरू किया. यूएई का मंगल ग्रह के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन 19 जुलाई 2020 को जापान के तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ. यूएई का यह मिशन मंगल ग्रह 'होप' नाम से डब किया गया है.
इस यान में कोई इंसान नहीं गया है. इसकी लाइव फीड भी दिखाई गई. इस यान पर अरबी में 'अल-अमल' लिखा हुआ था. इस यान ने दक्षिण जापान के तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से उड़ान भरी. हालांकि, इस मार्स मिशन का मकसद इस लाल ग्रह के पर्यावरण और मौसम के बारे में सटीक जानकारी इकट्ठा करना है.
7.Corona virus के खिलाफ दोहरी सुरक्षा देगी ऑक्सफर्ड वैक्सीन, जानें इसके बारे में सबकुछ
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि कोविड-19 का टीका विकसित करने में उन्हें सफलता मिल सकती है. दरअसल, अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने पता लगाया है कि मानव पर शुरुआती चरण के परीक्षणों के बाद कोरोना वायरस के खिलाफ यह टीका दोहरी सुरक्षा उपलब्ध करा सकता है.
यह खोज बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि अलग-अलग अध्ययनों में यह सामने आया है कि एंटीबॉडी कुछ ही महीनों में खत्म हो सकती है, जबकि ‘टी-सेल’ कई साल तक बने रह सकते हैं. अनुसंधान टीम से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा कि एंटीबॉडी और टी-सेल, दोनों की मौजूदगी कोविड-19 के खिलाफ दोहरी सुरक्षा है.
8.क्रिस्टिना कोच ने रचा इतिहास, लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड किया कायम
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर लगभग 11 महीने बिताने के बाद 06 फरवरी 2020 को सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आईं. अंतरिक्ष में उनका यह मिशन किसी महिला का अब तक का सबसे लंबा मिशन है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क्रिस्टीना कोच अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह 09 बजकर 12 मिनट पर पृथ्वी पर लौटीं.
इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी स्पेसवॉक में पूरी तरह महिलाओं का दल अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर गया हो. क्रिस्टिना कोच ने अपने मिशन के दौरान 210 अनुसंधानों में हिस्सा लिया. यह अनुसंधान नासा के आगामी चंद्र मिशन और मंगल पर मानव को भेजने की तैयारियों में मददगार होंगे.
9.भारत ने किया K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, जाने क्या है इसकी खासियत
आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है. यह मिसाइल पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है. फिलहाल नौसेना के पास आईएनएस अरिहंत ही एकमात्र ऐसी पनडुब्बी है, जो परमाणु क्षमता से लैस है. इस मिसाइल का विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया है.
तकनीकी दृष्टि से बैलिस्टिक मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं जिसका प्रक्षेपण पथ सब ऑर्बिटल बैलिस्टिक पथ होता है. इसका उपयोग किसी हथियार (नाभिकीय अस्त्र) को किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर दागने हेतु किया जाता है. यह मिसाइल प्रक्षेपण के प्रारंभिक स्तर पर ही गाइड की जाती है.
10.इसरो ने एक बार फिर रचा इतिहास, देश का सबसे शक्तिशाली संचार उपग्रह जीसैट-30 सफलतापूर्वक लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 17 जनवरी 2020 को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से एरियन-5 प्रक्षेपण यान के माध्यम से संचार उपग्रह जीसैट-30 प्रक्षेपित कर दिया है. यह प्रक्षेपण भारतीय समयानुसार 02 बजकर 35 मिनट पर किया गया. यह इसरो का इस साल अर्थात 2020 का पहला मिशन है.
जीसैट-30 जीसैट सीरीज का बेहद ताकतवर और महत्वपूर्ण संचार उपग्रह है. इस उपग्रह की मदद से देश की संचार प्रणाली में और इजाफा होगा. अभी जीसैट सीरीज के 14 सैटेलाइट काम कर रहे हैं. इस सैटेलाइट की बदौलत ही देश में संचार व्यवस्था कायम है. ये देश का अब तक का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह भी है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation