अमेरिकी राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप के खिलाफ हाल ही में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग चलाने हेतु 18 दिसंबर 2019 को लंबी बहस चली और फिर मतदान हुआ. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सत्ता के दुरुपयोग हेतु महाभियोग का प्रस्ताव अमेरिकी हाउस में 197 के मुकाबले 229 मतों से पास हो गया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी पर निशाना साधा तथा डेमोक्रेट सांसदों पर अभूतपूर्व तथा असंवैधानिक तरीके से शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए खुद को ‘सत्ता परिवर्तन के अवैध, पक्षपातपूर्ण प्रयासों’ का शिकार बताया.
महाभियोग का सामना करने वाले अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति |
इस तरह, अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प देश के इतिहास में तीसरे ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्हें महाभियोग लगाया जाना है. डोनाल्ड ट्रंप के विरुद्ध सत्ता के दुरुपयोग का मामला है. |
ट्रंप पर हैं आरोप क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप के विरुद्ध पहला आरोप सत्ता का दुरुपयोग करना है. इसमें डोनाल्ड ट्रंप पर यूक्रेन पर 2020 के आम चुनावों में उनके संभावित राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन को बदनाम करने हेतु दबाव बनाने का आरोप है. डोनाल्ड ट्रंप पर दूसरा आरोप महाभियोग मामले में सदन की जांच में सहयोग नहीं करने का है.
आगे क्या होगा? |
अमेरिका में राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव लाना उनको राष्ट्रपति भवन से हटाने की शुरुआती प्रक्रिया होती है. अमेरिका के निचले सदन से प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद अब ऊपरी सदन सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप को मुकदमा का सामना करना पड़ेगा. सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन को बहुमत है. |
महाभियोग: अमेरिकी में
डोनाल्ड ट्रम्प से पहले दो और अमेरिकी राष्ट्रपतियों के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही हुई है. पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने साल 1974 में हटाए जाने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. वहीं, साल 1868 में एंड्रयू जॉनसन और साल 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया आयोजित की गई थी, लेकिन दोनों नेता अपनी सीटों को बचाने में कामयाब रहे.
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महाभियोग लगाने का आधार और प्रक्रिया
अमेरिकी संविधान के अनुसार, प्रतिनिधि सभा में बहुमत के बाद राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. महाभियोग प्रस्ताव तब लाया जाता है जब अमेरिकी राष्ट्रपति पर राजद्रोह, रिश्वत या उच्च-श्रेणी के अपराधों में शामिल होने का संदेह होता है. सदन की न्यायिक समिति इन आरोपों की जांच करती है और फिर समिति की सहमति के बाद आरोप तय किए जाते हैं.
उसके बाद, इन आरोपों पर सदन की ओर से मतदान होता है. उपर्युक्त आरोपों पर प्रतिनिधि सभा में वोटिंग होती है. अगर वोटिंग महाभियोग के पक्ष में होती है तो कार्यवाही सीनेट को सौंप दी जाती है. सीनेट को महाभियोग के तहत राष्ट्रपति के दोषी पाए जाने पर उसे पद से हटाने की शक्ति प्राप्त है. जब राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा कार्यवाही की अध्यक्षता की जाती है.
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