ब्रिटेन के निचले सदन ने 20 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा यूरोपीय संघ से अलग होने हेतु पेश किया गया बिल पास हो गया. ब्रितानी सांसदों ने ब्रिटेन को 31 जनवरी 2020 तक यूरोपीय संघ से निकालने की प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की योजना का समर्थन किया है.
सांसदों ने यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के समझौते वाले विधेयक के पक्ष में मतदान किया. इस विधेयक के पक्ष में 358 और विरोध में 234 मत पड़े. इस विधेयक पर अब संसद में आगे चर्चा होगी. इस विधेयक पर सांसदों ने आगे की चर्चा के लिए तीन दिन तय करने के पक्ष में भी मतदान किया. सरकार का कहना है कि वे ब्रेग्ज़िट के लिए तय समयसीमा 31 जनवरी से पहले ही इस विधेयक को क़ानून में बदल देगी.
प्रधानमंत्री जॉनसन ने क्या कहा?
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि हमारा देश ब्रेग्जिट के एक कदम और करीब आ गया है. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने हेतु मंच तैयार है. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि हमने लोगों से जो वादा किया था उसे पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं.
लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने क्या कहा?
लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने हाल ही में अपने सांसदों को इस विधेयक के विरोध में मतदान करने को कहा था. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का 'एक बेहतर और अच्छा रास्ता' उपलब्ध है. फिर भी, छह लेबर सांसदों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया.
ट्रांज़िशन पीरियड क्या है?
इस विधेयक में ट्रांज़िशन पीरियड को साल 2020 से आगे बढ़ाने पर भी रोक लगा दी गई है. ट्रांज़िशन पीरियड वह अवधि होगी जिस दौरान ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर तो हो चुका होगा मगर इसके कुछ नियमों का पालन करता रहेगा. प्रधानमंत्री जॉनसन के अनुसार, ट्रांज़िशन पीरियड ख़त्म होने के बाद यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौता किया जा सकता है.
पृष्ठभूमि
यह क़ानून उस समझौते को लागू करेगा जो अक्टूबर में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और यूरोपीय संघ के बीच हुआ था. इसे 19 दिसंबर 2019 को महारानी के भाषण में शामिल किया था और अगले साल के लिए सरकार की प्राथमिकताओं में बताया था. जिस विधेयक को अक्टूबर 2019 में हाउस ऑफ़ कॉमन्स का समर्थन मिला था, सरकार ने उसे वापस ले लिया था. इस बार उस विधेयक में कुछ बदलाव किए गए हैं. साल 2016 में हुए जनमतसंग्रह में 52 फीसदी ब्रितानी नागिरकों ने यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में मतदान किया था जबकि 48 प्रतिशत इसके ख़िलाफ थे.
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