केंद्रीय कैबिनेट ने 15 दिसम्बर 2017 को मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक प्रथा को अपराध घोषित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है. इसके अनुसार, अगर कोई पति अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो इसे गैरकानूनी माना जाएगा. इसके लिए तीन वर्ष तक कारावास की सजा के साथ ही महिला को उचित मुआवजा और बच्चों की कस्टडी देने का प्रावधान किया गया है.
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कानून में तीन तलाक को लेकर सजा का कोई प्रावधान नहीं था. केंद्र सरकार ने इसी मद्देनजर तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है. बिल के प्रारुप के मुताबिक एक वक्त में तीन तलाक गैरकानूनी होगा. फिर चाहें, उसे बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही भेजा गया हो.
पृष्ठभूमि:
गौरतलब है कि बीते 22 अगस्त 2017 को उच्चतम न्यायालय ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 3:2 के मत से सुनाए गए फैसले में तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए दिए जाने वाले तलाक की प्रथा अमान्य, अवैध और असंवैधानिक है. इस याचिकओं पर सुनवाई करने वाले पांच न्यायाधीश अलग-अलग पांच धर्मों से थे, मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर (सिख), न्यायाधीश कुरियन जोसेफ (ईसाई), न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन (पारसी), न्यायाधीश उदय ललित (हिंदू) और न्यायाधीश अब्दुल नजीर (मुस्लिम).
तीन तलाक क्या है?
• तीन तलाक मुसलमान समाज में तलाक का वो जरिया है, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति तीन बार ‘तलाक’ बोलकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है. ये मौखिक या लिखित हो सकता है, या हाल के दिनों में टेलीफोन, एसएमएस, ईमेल या सोशल मीडिया जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी तलाक दिया जा रहा है.
• तलाक का यह जरिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से कानूनी है, फिर भी बहुत सारी मुस्लिम वर्ग की महिलाएं इसका विरोध करती है.
• तीन तलाक के तहत मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को बोलकर या लिखकर तलाक दे सकता है और पत्नी का वहां होना जरुरी भी नहीं होता है, यहां तक कि आदमी को तलाक के लिए कोई वजह भी लेनी नहीं पड़ती.
भारत से पहले दुनिया के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पूरी तरह बैन है. दुनिया का पहला देश मिस्र है जहां तीन तलाक को पहली बार बैन किया गया था. हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे कुछ मायनों में आगे है क्योंकि वर्ष 1956 में ही वहां तीन तलाक को बैन कर दिया गया था. सूडान ने वर्ष 1929 में अपने देश में तीन तलाक को बैन किया. साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, इरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और यूएई में भी तीन तलाक पर बैन है.
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