प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 8 फरवरी 2017 को प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीएसए) को मंजूरी प्रदान की गयी. केंद्र सरकार द्वारा बजट 2017-18 में इस बारे में घोषणा की गयी थी.
इस परियोजना का उद्देश्य मार्च 2019 तक छह करोड़ ग्रामीण परिवारों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना है. इस परियोजना पर 2,351.38 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान व्यक्त किया गया है. यह विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम होगा
मुख्य बिंदु
• इसके तहत वर्ष 2017 में 25 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा जबकि 2018 में इसके तहत 2.75 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
• वर्ष 2019 तक इस लक्ष्य के तहत तीन करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया जायेगा.
• इस कार्यक्रम के तहत ढाई लाख ग्राम पंचायतों को कवर किया जाएगा और प्रत्येक पंचायत में औसतन 200 से 300 लोग पंजीकृत किए जाएंगे.
• इस योजना में लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर करने पर वे कंप्यूटर तथा स्मार्ट फोन चलाने में सक्षम हो सकेंगे.
• इस योजना का क्रियान्वयन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जायेगा.
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा शिक्षा पर कराये गये 71वें सर्वेक्षण के अनुसार अनुसार देश में 16.85 करोड़ लोगों में से केवल छह प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास ही कंप्यूटर है. इस सर्वेक्षण में पाया गया कि 16 करोड़ ग्रामीण आबादी अर्थात 94 प्रतिशत लोगों के पास कंप्यूटर नहीं है.
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