केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 07 फरवरी 2018 को वर्गीकरण के मानकों को बदलने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम विकास अधिनियम, 2006 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.
इसे ‘संयंत्र एवं मशीनरी या उपकरण में निवेश’ से बदलकर ‘वार्षिक कारोबार’ में बदलने का प्रस्ताव है. इस कदम से व्यापार करने में आसानी होगी और वर्गीकृत वृद्धि के नियम बनेंगे और जीएसटी के दायरे में नयी कर प्रणाली वजूद में आएगी.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 की धारा 7 में संशोधन:
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 की धारा 7 में संशोधन हो जाएगा और माल तथा सेवाओं के संबंध में वार्षिक कारोबार को ध्यान में रखते हुए इकाईयों को निम्नानुसार परिभाषित किया जाएगा:
सूक्ष्म उपक्रम को एक इकाई के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जहां 5 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार नहीं होगा.
लघु उपक्रम को एक इकाई के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जहां वार्षिक कारोबार 5 करोड़ से अधिक, लेकिन 75 करोड़ से ज्यादा नहीं होगा.
मध्यम उपक्रम को एक इकाई के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जहां वार्षिक कारोबार 75 करोड़ रुपये से अधिक है परंतु 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा.
इसके अलावा केन्द्र सरकार अधिसूचना के जरिए कारोबार सीमा में बदलाव कर सकती है, जो एमएसएमईडी अधिनियम की धारा 7 में उल्लेखित सीमा से तिगुनी से अधिक नहीं हो सकती.
टिप्पणी:
वर्तमान समय में, एमएसएमईडी अधिनियम (धारा 7) में निर्माण इकाईयों के संबंध में संयंत्र और मशीनरी में निवेश तथा सेवा उपक्रमों के लिए उपकरण में निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों का वर्गीकरण करता है. संयंत्र और मशीनरी में निवेश का मानक स्व-घोषणा है जिसके लिए प्रमाणीकरण और लेन देन की लागत आवश्यक है.
जीएसटी नेटवर्क के संबंध में कारोबार के आंकड़ों को भरोसेमंद माना जा सकता है. इसके साथ अन्य उपायों के तहत भी संयंत्र एवं मशीनरी या उपकरण, रोजगार के संबंध में निवेश के आधार पर वर्गीकरण संभव है. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और निरीक्षण की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी. इसके अलावा व्यापार करने की आसानी में भी इजाफा होगा. वर्गीकरण के मानकों में बदलाव से व्यापार करने में होने वाली आसानी को बढ़ावा मिलेगा.
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