यूपी कैबिनेट ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अध्यादेश किया पारित, दोषी जा सकते हैं जेल भी   

Nov 25, 2020, 20:45 IST

नाबालिगों या SC/ ST महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में, यह जेल की अवधि 3-10 साल तक बढ़ जाएगी और जुर्माना भी 25,000 रुपये तक बढ़ जाएगा.

UP cabinet passes ordinance against forced religious conversions, jail term up to 10 years for violators
UP cabinet passes ordinance against forced religious conversions, jail term up to 10 years for violators

उत्तर प्रदेश राज्य की कैबिनेट ने, 24 नवंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश पारित कर दिया है, जिससे अब, जबरन धर्मांतरण 10 साल तक की जेल की सजा के साथ, उत्तर प्रदेश में एक दंडनीय अपराध बन गया है.

यह अध्यादेश धर्मांतरण को एक गैर-जमानती अपराध बनाता है जिसके लिए 01 से 10 साल के कारावास और 15,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

यह अध्यादेश धर्मांतरण के लिए हुए विवाह को भी निरर्थक और अमान्य घोषित कर देगा.

यह अध्यादेश क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह के अनुसार, राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और महिलाओं, विशेष रूप से SC/ ST समुदाय के लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह अध्यादेश पारित करना बहुत आवश्यक हो गया था.

मुख्य विवरण

  • उत्तर प्रदेश में विवाह के बहाने जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में वृद्धि के कारण इस अध्यादेश की आवश्यकता थी.
  • ये सभी धर्मांतरण बल, छल, गलत बयानी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से किए गए थे.

सज़ा

  • इस अध्यादेश में जबरन धर्म परिवर्तन के किसी मामले में, 01-05 साल तक जेल की सजा और 15,000 रुपये के जुर्माने की सजा दी गई है.
  • नाबालिगों या SC/ ST महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में, यह जेल की अवधि 3-10 साल तक बढ़ जाएगी और जुर्माना 25,000 रुपये तक बढ़ जाएगा.
  • सामुदायिक धर्मांतरण के मामले में, उल्लंघनकर्ता को 03 वर्ष से 10 वर्ष तक जेल की सजा हो सकती है और इस कदम के लिए जिम्मेदार किसी भी संगठन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. ऐसे संगठन का लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा.

मनमर्जी से किये गये धर्मांतरण के मामलों में क्या होगा?

यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से विवाह के लिए अपना धर्म परिवर्तित करना चाहता है, तो उसे संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को अग्रिम रूप से दो महीने का नोटिस देना होगा. यदि व्यक्ति ऐसा करने में विफल रहता है, तो उल्लंघन करने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति को कम से कम 10,000 रुपये का जुर्माना और छह महीने से 03 साल तक की जेल की सजा सुनाई जाएगी.

कोई यह कैसे सिद्ध करेगा कि यह जबरन धर्म परिवर्तन नहीं है?

यह साबित करना कि, किसी भी व्यक्ति ने अपना धर्मांतरण रूपांतरण किसी धोखे या अनुचित प्रभाव से मजबूर होकर नहीं किया था,  धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ उस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति पर निर्भर होगा.

पृष्ठभूमि

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में पहले ही, शादी के लिए धर्मांतरण को अवैध और अस्वीकार्य घोषित किया था.

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