उत्तर प्रदेश राज्य की कैबिनेट ने इस 8 जुलाई को उत्तर प्रदेश की स्टार्टअप नीति 2020 को मंजूरी दे दी है ताकि नए व्यापारिक विचारों का पोषण किया जा सके. राज्य का यह कदम भारत के शीर्ष तीन-स्टार्टअप अनुकूलक राज्यों से बराबरी करने के अपने लक्ष्य को पूरा करेगा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की और उक्त नीति पर मंजूरी की मुहर लगा दी. इसका उद्देश्य राज्य के सभी 75 जिलों में 100 इन्क्यूबेटरों की स्थापना करना है. इस नीति से 50,000 प्रत्यक्ष रोजगार सहित 1,50,000 रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है.
इससे पहले 20 मई को, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश स्टार्टअप फंड लॉन्च किया था जिसे लघु उद्योग विकास बैंक ऑफ इंडिया (एसडीबीआई) द्वारा प्रबंधित किया जाएगा. राज्य सरकार द्वारा इस फंड की स्थापना उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी और स्टार्ट-अप नीति 2017 के तहत की गई है.
उत्तर प्रदेश की स्टार्टअप नीति 2020: मुख्य विशेषताएं
• नई स्टार्टअप नीति अधिसूचना की तारीख से पांच साल तक के लिए लागू होगी. यह 10,000 से अधिक स्टार्टअप के निगमीकरण में भी मदद करेगी.
• यह नीति एक सक्षम कारोबारी परिवेश को बढ़ावा देगी और उत्कृष्टता का एक अत्याधुनिक केंद्र स्थापित करेगी.
• यह नीति लखनऊ में देश का सबसे बड़ा इन्क्यूबेशन हब भी स्थापित करेगी.
• यह नई स्टार्टअप नीति चिकित्सा और स्वास्थ्य, कृषि, खादी, ऊर्जा, शिक्षा, परिवहन, पर्यटन आदि के विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को एक समान महत्व देगी.
• यह नीति अतिरिक्त ऊष्मायन (इन्क्यूबेशन) और वित्तीय सहायता के साथ बुंदेलखंड और पूर्वांचल के पिछड़े क्षेत्रों में भी स्टार्टअप उपक्रमों को विशेष बल प्रदान करेगी.
उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप्स:
अब तक, उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप्स को उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप नीति 2017 के तहत संचालित किया जा रहा था, जोकि मुख्य रूप से आईटी सेक्टर पर केंद्रित थी. केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के साथ यहां के 1800 से अधिक स्टार्टअप उद्यम पंजीकृत थे.
चूंकि इस मौजूदा स्टार्टअप ढांचे ने अन्य क्षेत्रों की विभिन्न जरूरतों को पूरा नहीं किया, इसलिए राज्य सरकार पहले से ही इस मुद्दे को हल करने के लिए एक व्यापक नीति बना रही थी. नई नीति का मसौदा तैयार करने वाले अधिकारी अन्य राज्यों की समान नीतियों का अध्ययन करते थे और विशेषज्ञों से सुझाव लेते थे ताकि वे उत्तर प्रदेश के लिए एक समग्र नीति की रूपरेखा तैयार कर सकें.
यह कदम इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
COVID-19 लॉकडाउन के बाद अन्य राज्यों से 3.5 मिलियन से अधिक प्रवासी श्रमिक उत्तर प्रदेश लौटे हैं और उत्तर प्रदेश की सरकार उनके कौशल का उपयोग करने की कोशिश कर रही है. इसका उद्देश्य इन प्रवासी श्रमिकों को ऐसी नौकरियां प्रदान करना है जो उनके वर्क-प्रोफाइल के अनुरूप हों और विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिल सके.
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