बाल मजदूरी पर हाल ही में क्राई द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 5 वर्ष से 6 वर्ष के 8 लाख से अधिक बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं.
चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) गरीब एवं बेसहारा बच्चों के उत्थान के लिए कार्य करता है. इस संस्था की स्थापना वर्ष 1979 में रिप्पन कपूर द्वारा की गयी थी.
मुख्य बिंदु
• उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2,50,672 बच्चे बाल मजदूरी करते हैं जबकि बिहार में 1,28,087 एवं महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 82,847 है.
• क्राई की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 5 लाख से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते. इनमें से अधिकतर बच्चे परिवार के साथ किसी न किसी प्रकार की मजदूरी करते हैं.
• रिपोर्ट में कहा गया कि गरीबी एवं मां-बाप का अशिक्षित होना बच्चों को बाल मजदूरी की ओर धकेलता है.
• सामाजिक सुरक्षा की कमी तथा सीखने के अपर्याप्त स्रोत भी बच्चों को बाल मजदूरी की ओर बढ़ाते हैं.
• रिपोर्ट में यह पाया गया कि सरकार की समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) एक सीमा तक है तथा केवल 50 प्रतिशत बाल मजदूरों को ही देख रहा है.
समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस)
समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) की शुरूआत बच्चों की समग्र जरूरतों की पूर्ति की चुनौती के प्रत्युत्तर में अक्टूबर 2, 1975 को 33 प्रखंडों में की गई थी. आज समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) कार्यक्रम विश्व में बच्चों के लिए संचालित सबसे बड़े और सबसे अनूठे कार्यक्रमों में से एक है. समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करते हुए अनेक प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है जो इस प्रकार हैं, पूरक पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, रेफ़रल सेवाएं, विद्यालय-पूर्व और अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा.
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