उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना के लिए 96 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार और विश्व बैंक के बीच एक त्रिपक्षीय ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं.
ऋण समझौता उत्तराखंड को आपदा के बाद रिकवरी से संबंधित योजनाओं में अतिरिक्त धनराशि प्रदान करेगा, जो 2013 की बाढ़ के बाद से चल रही है. इस समझौते से आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए राज्य की क्षमता भी मजबूत होगी.
ऋण समझौते पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव समीर कुमार खरे; उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना के कार्यक्रम निदेशक अमित नेगी,; और विश्व बैंक भारत के कार्यवाहक राष्ट्रीय निदेशक हिशम एब्डो ने हस्ताक्षर किए थे.
ऋण समझौते की मुख्य विशेषताएं
• 96 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त वित्त पोषण पुल, सड़क और नदी तट संरक्षण कार्यों के पुनर्निर्माण में मदद करेगा.
• इसमें राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के लिए प्रशिक्षण सुविधा का निर्माण शामिल है.
• परियोजना राज्य की तकनीकी क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी ताकि भविष्य में इस तरह के संकटों से तुरंत और अधिक प्रभावी ढंग से निपटा जा सके.
• इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) से 96 मिलियन डॉलर का ऋण, पांच वर्ष की अनुग्रह अवधि और 15 वर्ष की अंतिम परिपक्वता है.
उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना
जून 2013 में, अत्यंत भारी मूसलाधार बारिश उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन का कारण बनी थी. वर्ष 2003 की सुनामी के बाद से यह आपदा सबसे भीषण थी. इस आपदा ने उत्तराखंड के 4200 से अधिक गांवों को नुकसान पहुंचाया तहत जिसमें 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इस आपदा से हुए नुकसान की रिकवरी हेतु उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना आरंभ की गई है.
वर्ष 2013 से उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना के तहत इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निर्माण कार्य कर रहा है. विश्व बैंक आवास और ग्रामीण कनेक्टिविटी को बहाल करने और उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना के माध्यम से समुदायों की सहायता करने के लिए 2014 से उत्तराखंड सरकार का समर्थन कर रहा है.
परियोजना की स्थिति
• अब तक, परियोजना के तहत 2000 से अधिक पक्के मकान और 23 सार्वजनिक भवनों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है.
• इसके अतिरिक्त 1300 किलोमीटर से अधिक सड़कों और 16 पुलों का जीर्णोद्धार भी किया जा चुका है.
• इस परियोजना ने राज्य के आपदा जोखिम प्रबंधन क्षमता को मजबूत करने में मदद की है जिसके कारण नीतियों और संस्थानों के माध्यम से दीर्घकालिक कार्ययोजना में निवेश बढ़ा है.
• इस परियोजना के माध्यम से एसडीआरएफ की क्षमता को भी काफी मजबूत किया गया है और यह अब तक 250 से अधिक अभियानों का संचालन कर चुका है.
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